एक देश एक चुनाव पर बने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पैनल ने कहा है कि सबसे लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं और साथ ही नगर निगम और पंचायत चुनाव भी एकसाथ कराए जाएं। कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल ने गुरुवार सुबह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी दी है।
लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कैसे होंगेदेश में तमाम विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल खत्म होने तक समाप्त नहीं होता। दोनों के कार्यकाल को एक ही समय का करने के लिए पैनल ने सुझाव दिया है कि संविधान में बदलाव करके एक नया अनुच्छेद, अनुच्छेद 82ए जोड़ा जाए। जिसके तहत व्यवस्था होगी कि सभी विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा की पहली बैठक की तय तारीख के बाद शुरू होगा, जिसे बाकायदा नोटिफाई किया जाएगा। आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख, लोकसभा के पूरे कार्यकाल के खत्म होने पर समाप्त होगी। यानी लोकसभा-विधानसभाओं के चुनाव तो एकसाथ होंगे लेकिन विधानसभा का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल की पहली बैठक के बाद शुरू होगा।
कोविंद पैनल ने सुझाव दिया है कि अगर किसी राज्य विधानसभा को अविश्वास प्रस्ताव, त्रिशंकु (हंग असेंबली) हाउस या किसी अन्य घटना के कारण भंग कर दिया जाता है, तो लोकसभा के साथ समाप्त होने वाले शेष कार्यकाल के लिए नए चुनाव होंगे। इसका आशय यह है कि लोकसभा शुरू होने के कुछ समय बाद या मान लीजिए दो साल बाद कोई विधानसभा भंग हो जाती है तो अगला चुनाव कराने पर उस विधानसभा का कार्यकाल तीन साल के लिए ही होगा। फिर जब लोकसभा का चुनाव पांच साल के बाद होगा, तो सभी विधानसभाओं के चुनाव के साथ उस विधानसभा के ताजा चुनाव होंगे।
समिति ने सिफारिश की कि राज्य चुनाव आयोगों के परामर्श से चुनाव आयोग द्वारा एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 325 में संशोधन किया जाए। यानी एक ही मतदाता सूची और एक ही फोटो पहचानपत्र सभी चुनावों में काम करेगा।
पैनल ने नगरपालिका और पंचायत चुनावों को अन्य चुनावों के साथ-साथ कराने के लिए अनुच्छेद 324A की सिफारिश की है। जिसमें प्रावधान होगा कि संसद यह तय करने के लिए एक कानून बना सकती है कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव आम चुनावों के साथ आयोजित किए जाएं। यानी लोकसभा, विधानसभा के साथ ही नगर निगमों, नगर पालिकाओं और पंचायकों के चुनाव भी हो सकते हैं।
कोविंद पैनल ने इन सिफारिशों के लिए जो आधार या वजहें बताई हैं, उनमें कहा गया है कि इससे देश के विकास में तेजी आएगी। चुनाव की अनिश्चितता या इंतजार हमेशा फैसला लेने में देरी पर असर डालेंगे। नीतिगत फैसले इन अनिश्चितताओं की वजह से नहीं हो पाते। सरकार के सभी तीन स्तरों अर्थात् लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों में चुनावों का समन्वय एक बेहतर शासन की तस्वीर पेश करती है।
2 सितंबर, 2023 को गठित समिति में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सिंह, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी. कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे शामिल थे।