पहले नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) और उसके बाद अब नागरिकता संशोधन क़ानून, इन दोनों के प्रावधानों से देश का मुसलमान बुरी तरह डरा हुआ है। उसे लगता है कि उसके ख़िलाफ़ साजिश रची जा रही है, उसे बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है, उसे निशाना बनाया जा रहा है। इस डर का हाल यह है कि कई जगहों पर मसजिदों से अपील की जा रही है कि वे अपने पहचान पत्र, वोटर आई कार्ड, आधार कार्ड वगैरह दुरुस्त कर लें। कुछ जगहों पर तो मसजिदों में ही मदद के लिए काउंटर खोल दिए गए हैं और वहाँ ज़रूरी मदद दी जा रही है।
मसिजदों पर बने कैंप
कर्नाटक के बेंगलुरु में मसजिदों से इस तरह की अपील की गई और वहीं सहायता केंद्र भी खोल दिए गए। कर्नाटक राज्य वक़्फ़ बोर्ड, मसजिद के लोग और स्थानीय मुसलमान नेताओं ने मिल कर ये केंद्र खोले हैं और लोगों को पहचान पत्र से जुड़े काग़ज़ात तैयार करने में मदद कर रहे हैं। यहाँ मुख्य रूप से आधार कार्ड, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार करने में मदद की जा रही है। यह सबके लिए खुला है, ग़ैर-मुसलमानों को इनकार नहीं किया जा रहा है, पर यहाँ आने वालों में अधिकतर मुसलमान ही हैं।इस डर का तात्कालिक कारण कर्नाटक सरकार की यह घोषणा है कि वह देशव्यपारी एनआरसी शुरू होते ही राज्य में इसे लागू करेगी। हालाँकि इसके बाद उप मुख्यमंत्री सी. एन. अश्वत्थनारायण ने इस को डर कम करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा :
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हम सिर्फ़ पड़ोसी देशों के मुसलमानों से डरे हुए हैं क्योंकि ये देश इसलामी बन चुके हैं। वहाँ लोकतंत्र नहीं है। जब ये लोग वहाँ उत्पीड़ित किए जाते हैं, भाग कर यहाँ चले आते हैं। हमें उन्हें नहीं रोकेंगे, पर यह ज़रूर चाहेंगे कि वे नियम के अनुसार औपचारिकता पूरी कर रहें, ग़ैरक़ानूनी रूप से न रहें।
सी. एन. अश्वत्थनारायण, उप मुख्यमंत्री, कर्नाटक
इसके तुरंत बाद वक़्फ़ बोर्ड ने एक नोटिस जारी कर सभी मसजिदों से कहा कि वे अपने-अपने इलाक़े के मुसलमान परिवारों का रजिस्ट्रेशन करवाएं और उन्हें सलाह दें कि वे पहचान पत्र ठीक कर लें। वक़्फ़ बोर्ड के प्रशासक आई. बी. इब्राहिम ने चिट्ठी लिख कर मसजिदों से कहा :
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सभी मसजिद में मुसलमानों के नाम पंजीकृत हों और साथ में सम्बन्धित काग़ज़ात भी लगाए जाएं, मसलन, जन्म प्रमाण पत्र, वोटर आईडी, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड वगैरह। मसजिद इन काग़ज़ात की सॉफ़्ट कॉपी को जमा भी कर सकती है।
आई. बी. इब्राहिम, एडमिनिस्ट्रेटर, कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड
शुक्रवार को मसजिद के मुख्य इमाम मौलाना इमरान मसूद ने कहा, 'हम सबसे पहले हिन्दुस्तानी हैं, हिन्दुस्तानी के रूप में हमारे काग़ज़ात दुरुस्त और प्रमाणित हों। ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक काग़ज़ में एक नाम हो और दूसरे काग़ज़ में दूसरा। हम में से ज़्यादातर ग़रीब हैं, किसी तरह दो जून की रोटी कमाने में ही लगे रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं कि कौन काग़ज़ चाहिए और उसकी क्या अहमियत है। ऐसा नहीं चल सकता।'
लोगों में परेशानी और अफरातफरी का आलम यह है कि एक दिन में ही 6,000 फार्म बाँटे जा चुके हैं।
बेंगलुरु में बँट रहा फार्म
ऐसा देश के दूसरे हिस्सों में भी हो रहा है।
महाराष्ट्र
मुंबई में ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दो महीने पहले ही एक सेमिनार किया था, जिसमें लोगों से कहा गया था कि वे अपने काग़ज़ात ठीक कर लें ताकि एनआरसी लागू हो ही जाए तो उन्हें कोई दिक्क़त न हो। इस सेमिनार में बड़ी तादाद में मुसलमान वकील और उलेमा मौजूद थे। इसके साथ ही कुछ वीडियो बनाया गया, जिनमें बताया गया है कि क्या करना है और कैसे करना है।
उर्दू मरकज़ के ज़ुबैर आज़मी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हमने एक अभियान चलाया है, जिसका नाम है, डॉक्यूमेंट परफ़ेक्ट। हम यह कोशिश करेंगे कि लोगोंं के नाम ठीक से लिखे हों और अलग-अलग काग़ज़ात में अलग-अलग स्पेलिंग न हों।’
आंध्र-तेलंगाना
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी ऐसी ही तैयारियाँ चल रही है। हैदराबाद में जमीअत-ए-उलेमा ने एक ग़ैर-सरकारी संगठन के साथ मिल कर अब तक 48 कैंप लगाए, जिनमें लोगों से काग़ज़ ठीक करने को कहा गया और उसमें उनकी मदद भी की गई है। शुक्रवार को नमाज़ के बाद 30 मसजिदों में इस तरह के शिविर लगाए गए।पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में भी यही हाल है। हालांकि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एलान किया है कि वह किसी सूरत में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी, लोग डरे हुए हैं। बांग्ला भाषा में छपे पैंपलेट में लोगों से कहा गया है कि वे एनआरसी के लिए तैयार हो जाएं और अपने तमाम काग़ज़ात दुरुस्त कर लें। इसमें यह भी कहा गया है कि उन्हें किन काग़ज़ों की ज़रूरत होगी और वे कैसे क्या करें।कोलकाता के ज़करिया स्ट्रीट स्थित नाख़ुदा मसजिद के इमाम क़ारी फज़लुर रहमान ने शुक्रवार की नमाज़ के बाद लोगों से अपील की कि वे परेशान न हों, अफरातफरी में न पड़ें, लेकिन अपने काग़ज़ात ठीक कर लें। उनके तक़रीर में एनआरसी और नागरिकता क़ानून पर ही ज़ोर था। यही हाल कोलकाता के टीपू सुलतान मसजिद और दूसरी मसजिदों का है। वहाँ भी लोगों को सचेत किया जा रहा है, लेकिन संयम बरतने और किसी तरह के उकसावे में न आने को भी कहा जा रहा है।