राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की विशेष अदालत समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले में फ़ैसला गुरुवार को सुना सकती है। इसके पहले सोमवार को हरियाणा के पंचकूला में विशेष अदालत ने कहा था कि इस मामले पर फ़ैसला 14 मार्च को सुनाया जाएगा। साल 2007 में भारत से पाकिस्तान जा रही इस ट्रेन में हुए विस्फोट में 68 लोग मारे गए थे, जिनमें 10 भारतीय भी थे। मुख्य अभियुक्त स्वामी असीमानन्द फ़िलहाल ज़मानत पर हैं।
पाकिस्तान की एक महिला ने सोमवार को अदालत से कहा कि उसके पास इस मामले से जुड़े सबूत हैं। इस महिला के पिता उस धमाके मे मारे गए थे। इसके बाद ही मामला टाल दिया गया। एनआईए के वकील राजन मलहोत्रा ने कहा था कि पाकिस्तानी नागरिक राहिला एल वकील की ओर से याचिका दायर किए जाने के बाद मामले पर फ़ैसला टाल दिया गया। इस मामले में सुनवाई 6 मार्च को पूरी हो गई और फ़ैसला सुनाने की तारीख़ 11 मार्च तय की गई थी।
समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले में एक अभियुक्त सुनील जोशी की मृत्यु हो चुकी है, जबकि दूसरे तीन अभियक्तों को अपराधी घोषित कर दिया गया है। असीमानन्द को मक्का मसजिद धमाका मामले और अजमेर धमाका मामले में भी अभियुक्त बनाया गया था, लेकिन वह इन दोनों ही मामलों में निर्दोष क़रार दिए गए।
एनआईए का कहना है कि असीमानन्द ने समझौता एक्सप्रेस धमाके के लिए लोगों को उकसाया था, उन्होंने पैसे की व्यवस्था भी की थी। यह भी आरोप है कि उन्होंने जान बूझ कर अभियुक्तों को छिपाया था और उनकी मदद की थी।
समझौता एक्सप्रेस धमाका मामले की सुनवाई कम से कम 8 जजों ने की है। सीबीआई के विशेष जज जगदीप सिंह अगस्त 2018 से इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। जगदीप सिंह ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम सिंह के मामले की भी सुनवाई की थी।
साल 2007 में दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस के साधारण श्रेणी के डिब्बे में चार विस्फोटक रख दिए गए थे, जिनमें दो में विस्फोट हो गए। पहले हरियाण पुलिस ने इस मामले की जाँच शुरू की, पर बाद में विदेश मंत्रालय ने यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को सौंप दिया।