सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नीट यूजी मामले की सुनवाई अब 18 जुलाई को होगी। हालांकि सुप्रीम अदालत ने पहले 12 जुलाई यानी शुक्रवार की तारीख तय की। लेकिन सॉलिसीटर जनरल ने शुक्रवार को उपलब्ध होने में असमर्थता जताई। तब चीफ जस्टिस ने 18 जुलाई की तारीख तकय कर दी।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि न तो "सामूहिक नकल" का कोई संकेत था और न ही नीट-यूजी 2024 में असामान्य स्कोर के कारण उम्मीदवारों को लाभ हुआ। सरकार की एजेंसी ने कहा कि NEET-UG 2024 के परिणामों का डेटा विश्लेषण आईआईटी मद्रास द्वारा किया गया था और विशेषज्ञों द्वारा दिए गए निष्कर्षों के अनुसार, मार्क्स वितरण में कोई असामान्यता नहीं दिखाई दी। .
इस रुख का समर्थन करते हुए, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए), जो नीट आयोजित करती है, ने भी सुप्रीम अदालत में अलग से एक हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि अब तक केवल 47 उम्मीदवारों पर पटना में 17 और गोधरा में 30 के पेपर लीक में शामिल होने का संदेह है। यानी एनटीए मान रहा है कि 47 छात्र ओएमआर शीट से संबंधित लीक और अनियमितताओं से जुड़े हैं। ये छात्र बिहार और गुजरात से हैं।
ये हलफनामे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा विवादों में घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET-UG 2024 से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने से एक दिन पहले पेश किए गए हैं। जिनमें 5 मई की परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप शामिल है। तमाम याचिकाओं में मांग की गई है कि नीट का टेस्ट फिर से आयोजित किया जाए।
यूजीसी नेट पेपर मामला
सीबीआई उस युवक के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर सकती है जिसने कथित तौर पर टेलीग्राम पर यूजीसी-नेट पेपर का "छेड़छाड़" स्क्रीनशॉट प्रसारित किया था, जिसके कारण संभावित "उल्लंघन" के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अलर्ट के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई को इस प्रकरण में कोई बड़े पैमाने की साजिश नहीं मिली और आरोप पत्र को धोखाधड़ी के प्रयास या धोखाधड़ी के अपराधों तक सीमित रखा जाएगा।
अधिकारियों ने कहा कि कथित यूजीसी-नेट पेपर लीक की केंद्रीय एजेंसी की जांच में पाया गया कि 18 जून की परीक्षा के "लीक" प्रश्नपत्र का स्क्रीनशॉट में स्कूल के छात्र ने "छेड़छाड़" करके तैयार था। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अनौपचारिक रूप से सरकार को अपने निष्कर्षों से अवगत करा दिया है और युवक के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने की संभावना है। 11 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था जो जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित करती है।