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NEET: देशभर में प्रदर्शन, विपक्ष ने एनटीए और सरकार को घेरा

NEET: देशभर में प्रदर्शन, विपक्ष ने एनटीए और सरकार को घेरा

नीट यूजी परीक्षा के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। ये प्रदर्शन केरल से लेकर पूर्वोत्तर भारत और जम्मू तक में हो रहे हैं। वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) और सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठाए हैं। एनटीए और सरकार की ओर से लगातार लीपापोती की जा रही है।

देशभर में प्रदर्शन के बीच रविवार को कांग्रेस ने नीट यूजी एंट्रेस परीक्षा में धांधली की जांच संसद की स्थायी समिति से कराने की मांग की। कांग्रेस ने कहा कि नीट परीक्षा और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की व्यापक समीक्षा की जाए।

कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने रविवार को रमेश को सीबीएसई-संबद्ध छात्रों के प्रति नीट के संभावित पूर्वाग्रह के बारे में चिंताओं पर प्रकाश डाला, जिससे गैर-सीबीएसई बैकग्राउंड के छात्रों को नुकसान हो रहा है, खासकर तमिलनाडु जैसे राज्यों में छात्रों को अलग तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जयराम रमेश खुद भी 2014 से 2019 तक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति में रहे हैं और जानते हैं कि इस समिति से जांच का क्या अर्थ है।

जयराम रमेश का कहना है कि नीट के लिए व्यापक समर्थन लेकिन तमिलनाडु के सांसदों की असहमतियों की आवाजों को सुना जाना चाहिए। तमिलनाडु के सांसद कहते रहे हैं कि एक स्टैंडर्ड परीक्षा सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले छात्रों के पक्ष में हो सकती है। उनके सवाल हैं कि क्या नीट आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों से भेदभाव करता है, उन्हें समान शैक्षिक अवसरों से वंचित करता है।

जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा- “मुझे लगता है कि अब सीबीएसई के इस मुद्दे का उचित विश्लेषण करने की जरूरत है। क्या नीट भेदभावपूर्ण है? क्या गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों को अवसरों से वंचित किया जा रहा है? महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों ने भी NEET पर गंभीर संदेह व्यक्त किया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ईमानदारी और नीट को डिजाइन और संचालन करने के तरीके पर भी गंभीर सवाल हैं। पिछले दशक में एनसीईआरटी ने अपनी सारी व्यावसायिकता खो दी है।”

कांग्रे का एनटीए की ईमानदारी, पारदर्शिता और उसके प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठाना बहुत महत्वपूर्ण है। छात्र भी एनटीए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। जयराम रमेश ने नवगठित स्थायी समितियों द्वारा NEET, NTA और NCERT की गहन समीक्षा को तरजीह देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र की आशंकाओं का हवाला देते हुए विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमि और राज्यों के छात्रों पर एनईईटी की निष्पक्षता, पहुंच और समग्र प्रभाव के संबंध में चिंताओं को दूर करने के लिए गहन विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर दिया। 

नीट के खिलाफ डीएमके शुरू से ही विरोध में है। डीएमके ने परीक्षा की पवित्रता को नष्ट करने के लिए एनटीए की आलोचना की है और कहा है कि मोदी सरकार एक "दर्शक" है और कोचिंग केंद्रों का समर्थन करने से ज्यादा कुछ नहीं है। उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' पर सवाल उठाया है और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है।

मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 5 मई को हुई थी, जिसमें 24 लाख छात्रों ने भाग लिया था। उसके नतीजे चुपचाप 4 जून को उस समय जारी कर दिए गए, जब देश में नई सरकार बनाने के लिए वोटों की गिनती हो रही थी। नीट नतीजे पर सवाल उसी दौरान शुरू हुए। कम से कम 67 छात्रों ने 720/720 का सही स्कोर हासिल किया। रैंक 1 और रैंक 2 हासिल करने वाले छात्रों की तादाद बहुत ज्यादा सामने आई। कट-ऑफ तेजी से बढ़ी है। इससे तमाम छात्र हैरान हैं कि क्या उन्हें किसी मेडिकल कॉलेज में सीट भी मिलेगी।

नतीजों पर जब सवाल बढ़े तो एनटीए ने बताया कि 1563 छात्रों को गलत सवाल ट्राई करने पर ग्रेस मार्क्स दिया गया था। हालांकि उससे पहले पेपर लीक की खबर भी आ चुकी थी। एनटीए ने पहले तो ग्रेस मार्क्स देने का बचाव करने लगी। लेकिन सरकार ने छात्रों का मूड भांप लिया। सरकार ने तब सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ग्रेस मार्क्स अब रद्द कर दिए गए हैं। 1563 छात्रों को फिर से नीट यूजी परीक्षा देना होगी।

इसके बावजूद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अड़े रहे कि पेपर लीक का कोई सबूत नहीं है और एनटीए में भ्रष्टाचार के दावे निराधार हैं। प्रधान ने कहा, "इस मुद्दे पर जिस तरह की राजनीति की जा रही है वह केवल भ्रम फैलाने का प्रयास है और यह छात्रों की मानसिक शांति को प्रभावित करता है।" लेकिन प्रधान के इस बयान का कोई असर नहीं हुआ। पिछले दो दिनों से देश के कोने-कोने में प्रदर्शन हो रहे हैं। अब धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को कहा कि नीट परीक्षा में कुछ कमियां हैं, जिन्हें ठीक किया जाएगा। अगर एनटीए के अधिकारी दोषी पाए गए, तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई से परहेज नहीं किया जाएगा।

इस मुद्दे को कांग्रेस अध्यक्षता मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी के अलावा आरजेडी और टीएमसी ने भी जोरशोर से उठाया है। सुप्रीम कोर्ट में 8 जुलाई को चीफ जस्टिस की कोर्ट में इस पर सुनवाई है।

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