नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ पूरा देश उबल रहा है। गुवाहाटी से मुंबई और कोलकाता से केरल तक हज़ारों छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। इसकी शुरुआत अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय से हुई, जहाँ सैकड़ों छात्र विश्वविद्यालय के मेन गेट पर इकट्ठा हो गए और सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाजी की। लेकिन इसके बाद यह आंदोलन बहुत ही तेज़ी से फैला और पूरे देश में पसर गया। कम से कम 18 शहरों में 22 विश्वविद्यालय कैंपसों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया।
सोमवार को आईआईटी मुंबई, बंबई विश्वविद्यालय, हैदराबाद के मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय, टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़, पटना विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय, लखनऊ के नदवा कॉलेज, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और पुद्दुचेरी विश्वविद्यालय के छात्र सड़कों पर उतर आए, सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाजी की और नागरिकता क़ानून वापस लेने की माँग की। इन प्रदर्शनों में बड़ी तादाद में छात्राएं भी थीं।
रविवार को दिल्ली स्थिति जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्याल के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया तो पुलिस विश्वविद्याल परिसर में बग़ैर किसी पूर्व अनुमति के घुस गई तो छात्रों को बेहरमी से पीटा। पुलिस वाले कुछ छात्रों को खींच कर बाहर ले गए और परिसर के बाहर गिरा कर बुरी तरह पीटा। पुलिस की पिटाई से छात्राएं भी नहीं बचीं, उन पर भी डंडे बरसाए गए।
जामिया छात्रों से एकजुटता
पुलिस की इस ज़्यादाती के ख़िलाफ़ पूरे देश में छात्रोें ने अलग से विरोध प्रदर्शन किया। आईआईटी मुंबई, बंबई विश्वविद्यालय, हैदराबाद के मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय, टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़, पटना विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय, नदवा कॉलेज, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों का विरोध प्रदर्शन इस पुलिस कार्रवाई और नागरिकता संशोधन क़ानून, दोनोें के ख़िलाफ़ था।
इन छात्रों ने जामिया मिलिया के छात्रों का समर्थन किया और ज़ोर देकर कहा कि वे उनके साथ एकजुटता दिखलाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुंबई विश्वविद्यालय में हुए विरोध प्रदर्शन में आज़ादी के नारे भी लगे।
इसी तरह चेन्नई विश्वविद्याल में भी जामिया के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए छात्रों ने प्रदर्शन किया।
नागरिकता क़ानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नहीं माना जाएगा। उन्हें इस देश की नागरिकता दी जाएगी। हालाँकि, इस क़ानून में मुसलिमों के लिए यह प्रावधान नहीं है। इसी को लेकर विरोध हो रहा है।
दूसरी ओर, सोमवार को विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि जामिया मिल्लिया इसलामिया कैंपस में रविवार शाम को पुलिस के घुसने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन उच्च स्तरीय जाँच की माँग करेगा। इसके साथ ही एफ़आईआर भी दर्ज कराई जाएगी। नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के ख़िलाफ़ रविवार को पुलिस कथित तौर पर विश्वविद्यालय परिसर में घुस गई थी और छात्रों की पिटाई की थी।
उन्होंने कहा कि पुलिस बिना अनुमति के ही कैंपस में घुसी थी। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि 'इस लड़ाई में हमारे छात्र अकेले नहीं हैं, बल्कि मैं भी उनके साथ हूँ।'