देश में कोरोना की मौजूदा स्थिति और उससे निपटने की तैयारियों पर एक उच्च-स्तरीय बैठक शुक्रवार को हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।
यह बैठक ऐसे समय हुई है जब देश के कई हिस्सों से कोरोना मामले बढ़ने की ख़बरें आ रही हैं।
इस बैठक के एक दिन पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा था कि देश अभी तक कोरोना की दूसरी लहर से नहीं उबर पाया है। उन्होंने यह भी कहा था कि कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। इसे देखते हुए तैयारियाँ की जा रही हैं।
मेडिकल सुविधाएँ
'एनडीटीवी' के अनुसार, इस बैठक में प्रधानमंत्री को देश में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढाँचे में हुए सुधार की जानकारी दी गई। बैठक में अगले कुछ महीनों में कोरोना टीका के उत्पादन और आपूर्ति की तैयारियों की भी समीक्षा की गई।
नरेंद्र मोदी ने इस पर ज़ोर दिया कि ऑक्सीजन सांद्रता, सिलिंडर और पीएसए संयंत्रों सहित ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए पूरा इंतजाम करने की ज़रूरत है।
प्रधानमंत्री ने म्यूटेंट की निगरानी के लिए निरंतर जीनोम सिक्वेंसिंग की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा किया जाए तो पिछले कुछ महीनों में अस्पतालों में कोरोना रोगियों के लिए अतिरिक्त बिस्तर लगाए गए हैं।
ऑक्सीजन आपूर्ति में दिक्क़त न हो, इसके लिए 100 से अधिक ऑक्सीजन गाड़ियों का भी आयात किया गया है। अब ऑक्सीजन ढोने के लिए कुल मिलाकर लगभग 1,250 गाड़ियाँ हो गईं।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने अस्पतालों में लगभग 1,600 ऑक्सीजन-उत्पादन संयंत्रों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इसके पहले बीते महीने लगभग 300 ऑक्सीजन-उत्पादन संयंत्र स्थापित किए गए थे।
केरल में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने केरल में कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए 11वीं की परीक्षा स्थगित कर दी। राज्य सरकार ने वह परीक्षा ऑफ़लाइन कराने का फ़ैसला लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल में कोरोना की स्थिति ख़तरनाक है इसलिए इसने एक हफ़्ते तक परीक्षा को टाल दिया है। राज्य के हालात से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कम उम्र के बच्चों को कोरोना से संपर्क में आने का जोखिम नहीं उठाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला तब आया है जब पिछले कई दिनों से केरल में लगातार 30 हज़ार से ज़्यादा मामले आ रहे थे।
राज्य में पॉजिटिविटी दर 18 फ़ीसदी से ज़्यादा है। राज्य में अब तक कुल मिलाकर 41 लाख से भी ज़्यादा मामले आ चुके हैं और 21 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।