हिंदुओं के बिना भारत नहीं और भारत के बिना हिंदू नहीं: भागवत

09:39 am Nov 28, 2021 | सत्य ब्यूरो

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने फिर से हिंदू, हिंदुत्व और भारत को लेकर एक बयान दिया है और कहा है कि हिंदुओं के बिना भारत नहीं है और भारत के बिना हिंदू नहीं हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और हिंदुओं को अलग नहीं किया जा सकता है।

भागवत मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'भारत अपने दम पर खड़ा हुआ। यही हिंदुत्व का सार है। इसी वजह से भारत हिंदुओं का देश है।'

भारत के विभाजन के बारे में भागवत ने कहा, 'विभाजन के बाद भारत टूट गया और पाकिस्तान बन गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हम इस विचार को भूल गए कि हम हिंदू हैं। वहीं मुसलमान भी इसे भूल गए।'

आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'जब पाकिस्तान बना तो हमें नहीं बताया गया कि हम भारत और हिंदुस्तान बन जाते हैं। उस देश का दूसरा नाम रखा क्योंकि उन्हें मालूम था कि भारत हिंदू है और हिंदू ही भारत है।'

आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि हिंदुओं की संख्या घट रही है। भागवत ने कहा कि 1947 में हुए देश के विभाजन ने हिंदुओं को कमज़ोर कर दिया। उन्होंने आगे कहा, 'पहले उनकी ताक़त जो खुद को हिंदू मानते हैं कम हुई, फिर उनकी संख्या घटी। इसीलिए, पाकिस्तान अब भारत नहीं रहा।' 

संघ प्रमुख ने कहा,

हिंदुओं की संख्या और ताक़त कम हो गई है या हिंदुत्व की भावना कमजोर हो गई है। हिंदू यदि हिंदू बने रहना चाहते हैं तो भारत को 'अखंड' बनना होगा।


मोहन भागवत

बता दें कि आरएसएस प्रमुख ने एक पुस्तक समारोह के विमोचन को संबोधित करते हुए पहले कहा था, 'विभाजन के समय की भारत की पीड़ा को नहीं भूलना चाहिए। जब ​​भारत के विभाजन से पहले की स्थिति हो जाएगी तो यह दूर हो जाएगी।'

बहरहाल, भागवत ने शनिवार को कार्यक्रम में अंग्रेजों के अधीन भारत के इतिहास को लेकर कहा है कि अंग्रेज़ों ने भारत का इतिहास फिर से लिखा, इसलिए हमें देश का वास्तविक इतिहास वापस लौटाने की ज़रूरत है। 

उन्होंने आगे कहा, 'हिंदुत्व को भारत से और भारत को हिंदुत्व से अलग नहीं किया जा सकता है। इस सोच ने हमें ख़ास बनाया लेकिन अंग्रेज़ों ने यहां आकर भारत के इतिहास को फिर से लिखा। अंग्रेजों ने लिखा कि हमारे पूर्वज 15 पीढ़ी पहले नहीं थे क्योंकि इतिहास में कोई हिंदू नहीं यानी भारत नहीं है। इससे अखंड भारत टूट गया।'

बता दें कि दो महीने पहले एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा था, 'भारत में हिंदू और मुसलमान एक ही वंश साझा करते हैं। हमारे विचार से हिन्दू शब्द का अर्थ मातृभूमि है, और वह संस्कृति जो हमें प्राचीन काल से विरासत में मिली है। हिंदू शब्द… प्रत्येक व्यक्ति को उनकी भाषा, समुदाय या धर्म के इतर दर्शाता है। हर कोई एक हिंदू है, और इसी संदर्भ में हम प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक हिंदू के रूप में देखते हैं...।'