पाँच बड़े देशों के व्यापारिक संगठन ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) की वर्चुअल शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया और इसे दुनिया की सबसे बड़ी समस्या क़रार दिया। यह अहम इसलिए है कि चीन इसका बेहद महत्वपूर्ण सदस्य है और उसने एफ़एटीएफ़ समेत कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किसी न किसी बहाने पाकिस्तान का बचाव किया है या दबाव से बचने में उसकी मदद की है। भारत शुरू से ही पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है।
मोदी ने कहा, "आतंकवाद आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो देश आतंकवादियों की मदद करते हैं या उनका समर्थन करते हैं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए और यह काम संगठित रूप से किया जाना चाहिए।"
रूस का समर्थन
मोदी का यह कहना इसलिए भी अहम है कि रूस ने इसके पहले ही आतंकवाद की चर्चा की थी और भारत की राय से मिलती जुलती राय ही रखी थी।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुरुआती भाषण में ही कहा था, "ब्रिक्स ने आतंकवाद-निरोधी रणनीति तैयार कर ली है, इसके काग़ज़ात बन चुके हैं।"
पाकिस्तान के साथ चीन
मोदी का यह भाषण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में हुआ, यह अहम है। आतंकवाद को मिलने वाले पैसों पर रोक लगाने के लिए बनी संस्था फ़ाइनेंशियल एक्सन टास्क फ़ोर्स यानी एफ़एटीफ़ का प्रमुख रहते हुए चीन ने पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई नहीं होने दी। एफ़एटीएफ़ ने खुद कहा कि उसने पाकिस्तान को जो कुछ करने को कहा था, उसने उसका बड़ा हिस्सा नहीं किया है।इ्सके बावजूद पाकिस्तान को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, उसे 'ग्रे-लिस्ट' में ही रहने दिया। भारत की मांग थी की इसलामाबाद को 'ब्लैक लिस्ट' यानी काली सूची में डालने का समय आ गया है को क्योंकि उसे पहले ही काफी समय दिया जा चुका है। काली सूची में आने से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर संकट बढ़ जाएगा, उसे कोई क़र्ज़ नहीं देगा, उसकी रेटिंग ख़राब होगी, कोई वहां निवेश नहीं करेगा।
बता दें कि ब्रिक्स की स्थापना 2009 में हुई,और इसके 5 सदस्य देश है। मूलतः, 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे 'ब्रिक' के नाम से जाना जाता था। रूस को छोडकर ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
पाँचों ब्रिक्स राष्ट्र दुनिया की लगभग 42 फ़ीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक अनुमान के अनुसार ये राष्ट्र संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार में 4 खरब डॉलर का योगदान करते हैं। इन राष्ट्रों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 15 खरब डॉलर है। ब्रिक्स देशों का वैश्विक जीडीपी में 23% का योगदान करता है और विश्व व्यापार के लगभग 18% हिस्से में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।