एमआईटी : भारत में रोज़ाना 2.87 लाख लोग हो सकते हैं कोरोना से संक्रमित

12:44 pm Aug 11, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

ऐसे समय जब कोरोना संक्रमितों के मामले में भारत पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर आ गया है, भविष्य को लेकर इससे भी अधिक चिंताजनक बातें कही जा रही हैं। मशहूर अमेरिकी संस्था मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते टीका या दवा की इजाद नहीं की गई तो भारत की स्थिति सबसे बुरी होगी और यहाँ संक्रमितों की तादाद 2.87 लाख प्रतिदिन हो सकती है।

एमआईटी के स्लोअन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट ने कोरोना संक्रमण के फैलने पर एक शोध किया है। हाज़िर रहमानदाद, टी. वाई. लिम और जॉन स्टर्मन की टीम ने शोध में पाया कि जाड़े के अंत तक 2021 में भारत में कोरोना रोगियों की संख्या सबसे अधिक हो सकती है।

दुनिया में 18 लाख मौतें!

इस शोध में यह भी पाया गया कि यदि टीका या दवा नहीं बनाई गई तो अगले साल मार्च-मई तक पूरी दुनिया में कोरोना से 24.9 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं और 18 लाख लोगों की मौत हो सकती है।

अब तक अमेरिका में कोरोना से लगभग 30 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। 

अगले साल फरवरी तक अमेरिका में रोज़ाना 95 हज़ार नए मामले आ सकते हैं। दक्षिण अफ्रीका में 21 हज़ार, ईरान में 17 हज़ार और इंडोनेशिया में 13 हज़ार नए मामले रोज़ आ सकते हैं।

वास्तविक संख्या अधिक

लेकिन एमआईटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना से संक्रमित जितने लोगों की संख्या बताई जा रही है, वास्तव में उससे 12 गुणा अधिक लोग संक्रमित हो सकते हैं। इसी तरह कोरोना से मरने वालों की संख्या जितनी बताई जा रही है, असली संख्या उससे 50 प्रतिशत अधिक हो सकती है।

एमआईटी के लोगों ने इनफ़ेक्शन फ़ैटिलिटी रेट (आईएफ़आर) का भी अध्ययन किया है। आईएफ़आर का मतलब है कोरोना से संक्रमित होने के बाद मरने की कितनी संभावना है। इसके कई कारक हैं, जैसे, उम्र, स्वास्थ्य की स्थिति, स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति और प्रभावित हो सकने लायक लोगों को बचाने को लेकर राष्ट्रीय नीति।

शोधकर्ताओं ने पाया कि औसत आईएफ़आर 0.68 प्रतिशत है। लेकिन यह अलग-अलग देशों में अलग-अलग है। मसलन, आइसलैंड में आईएफ़आर 0.56 है तो न्यूज़ीलैंड में 0.64 प्रतिशत और अमेरिका में 0.99 प्रतिशत।

हाज़िर रहमानदाद ने कहा, “कोरोना संक्रमण किस रफ़्तार से बढ़ता है यह सोशल डिस्टैंसिंग, बेहतर स्वास्थ्य और मास्क के इस्तेमाल पर निर्भर करता है। जिन समुदायों में मामले बढ़ते ही जोखिम भरे संपर्क कम कर दिए जाते हैं, वहाँ लंबे समय में कम मामले सामने आते हैं।”

दूसरी ओर, अच्छी बात यह है कि कई जगहों पर टीका और दवा पर काम चल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 19 टीकों पर ट्रायल चल रहा है। यदि समय रहते टीका बन जाता है तो कोरोना रोकने में काफी हद तक कामयाबी मिल सकती है।