भाजपा सांसद और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नाबालिग पहलवान ने अपने आरोप वापस ले लिए हैं। यह बात इंडियन एक्सप्रेस की आज मंगलवार को प्रकाशित रिपोर्ट में कही गई है। नाबालिग के आरोप के आधार पर ही दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद पर पॉक्सो एक्ट की धाराएं भी लगाई थीं। नाबालिग समेत 7 महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दो एफआईआर दर्ज कराई थी। नाबालिग पहलवान ने बृजभूषण के खिलाफ न सिर्फ दिल्ली पुलिस के सामने अपने आरोप दोहराए, बाद में धारा 164 के तहत होने वाले बयान में भी यौन उत्पीड़न के आरोपों को दोहराया। लेकिन अब नाबालिग पहलवान ने फिर से धारा 164 में अपने बयान दर्ज कराए हैं। समझा जाता है कि उसने पिछले आरोपों को नहीं दोहराया, जो पॉक्सो एक्ट में आते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 17 वर्षीय पहलवान ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने एक नया बयान दर्ज कराया है। बता दें कि धारा 164 के बयान को अदालत में सबूत माना जाता है।
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अब यह तय करना अदालत पर निर्भर रहेगा कि वो 164 के किस बयान को सबूत के रूप में स्वीकार करती है। नाबालिग पहलवान के पहले बयान में चूंकि बाल यौन उत्पीड़न के आरोप हैं और अगर अदालत ने उसे स्वीकार किया तो बृजभूषण की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। लेकिन अदालत ने अगर बाद वाले धारा 164 के बयान को स्वीकार किया तो बृजभूषण को बहुत बड़ी राहत इस केस में मिल जाएगी।
बहरहाल, इंडियन एक्सप्रेस ने यह भी लिखा है कि उसने नाबालिग के पिता से संपर्क किया लेकिन उन्होंने सवाल का जवाब नहीं दिया।
मुलजिम पर ये हैं आरोप
नाबालिग पहलवान ने दिल्ली पुलिस में जो एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसे इंडियन एक्सप्रेस और बाकी मीडिया ने रिपोर्ट भी किया था। इंडियन एक्सप्रेस की उस रिपोर्ट के अनुसार, नाबालिग के पिता ने कहा था कि "वो (उनकी बेटी) पूरी तरह से परेशान थी और अब शांति से नहीं रह सकती ... आरोपी (बृजभूषण) ने उसका यौन उत्पीड़न जारी रखा, जिससे वो परेशान हो गई।" नाबालिग ने अपनी शिकायत में कहा था कि आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह ने, "उसे कसकर पकड़कर एक फोटो खींचने का नाटक करते हुए उसे अपनी ओर झुका लिया, उसके कंधे को जोर से दबाया और फिर जानबूझकर ... उसके स्तनों पर हाथ फेरा।"
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक नाबालिग ने 10 मई को मजिस्ट्रेट के सामने मुलजिम बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाओं का विवरण देते हुए अपना पहला बयान दर्ज कराया था। एफआईआर के अनुसार, सिंह पर बाल यौन अपराधों के लिए बने कड़े POCSO अधिनियम की धारा 10 और IPC की धारा 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल), 354A (यौन उत्पीड़न), 354D के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इसमें से धारा 10 एक नाबालिग के खिलाफ गंभीर यौन हमले से संबंधित है जो सात साल तक की जेल की सजा के साथ दंडनीय है। POCSO अधिनियम की धारा 9, जो गंभीर यौन हमले को परिभाषित करती है, एक ऐसे व्यक्ति द्वारा बच्चे के खिलाफ यौन हमले को अपराध बनाती है जो कहीं किसी अधिकार वाले पद पर हो। सेक्शन 9(ओ) और 9(पी) गंभीर यौन हमले को परिभाषित करते हैं, "जो कोई भी, बच्चे को सेवाएं प्रदान करने वाली किसी संस्था के मालिक या प्रबंधन या स्टाफ में होने के नाते, ऐसी संस्था में बच्चे पर यौन हमला करता है;" या "जो कोई भी, किसी बच्चे को अपने पद और अधिकार का फायदा उठाते हुए, बच्चे के संस्थान या घर में या कहीं और बच्चे पर यौन हमला करता है।"
वरिष्ठ वकील की टिप्पणी
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने कहा, "मैं हैरान नहीं हूं। ऐसे मामलों में गिरफ्तारी में सोची-समझी देरी शिकायतकर्ता को दबाव में डालती है। इस तरह के संघर्ष लंबे और दर्दनाक होते हैं। जब महिलाएं ऐसे मामलों में सामने आती हैं, तो वे अपना जीवन और करियर दांव पर लगा देती हैं।
उपसंहारइंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट से साफ है कि नाबालिग ने अपने आरोपों को दूसरी बार धारा 164 के तहत दिए गए बयान में बदला है। अगर ऐसा है तो यह घटनाक्रम तमाम सवाल खड़े करता है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या नाबालिग और उसके परिवार पर दबाव डालकर बयान बदलवाया गया। वरिष्ठ एडवोकेट रेबेका जॉन ने उसी तरफ इशारा भी किया है। यही वजह है कि किसी आरोपी पर पॉक्सो एक्ट जब लगाया जाता है तो उसकी तुरंत गिरफ्तारी जरूरी है, अन्यथा वो संबंधित लोगों पर दबाव डाल सकता है। इस मामले में तो मुलजिम वैसे भी सत्तारूढ़ राजनीतिक दल का सांसद है। कुल मिलाकर यह मामला बहुत ही नाजुक मोड़ पर आ गया है और इसमें अदालत की भी परीक्षा होनी है कि वो धारा 164 के किस बयान को स्वीकार करती है।