जनार्दन रेड्डी पर सीबीआई के नौ मुक़दमे हैं। अवैध खनन का आरोप है। वह भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस होने और खुद को राष्ट्रवादी पार्टी कहने वाली बीजेपी में शामिल हुए हैं। बीजेपी ने पूरे जोश-खरोश के साथ उनका पार्टी में स्वागत किया। उनको बीजेपी में तब शामिल किया गया है जब सर्वे में रिपोर्टें सामने आ रही हैं कि कर्नाटक में बीजेपी की स्थिति पिछली बार की तरह नहीं है और कांग्रेस को ज़्यादा सीटें मिल सकती हैं। तो सवाल है कि आख़िर रेड्डी को बीजेपी में क्यों शामिल किया जा रहा है और उनके ख़िलाफ़ ऐसे कौन कौन से मामले हैं कि उनको लेकर सवाल उठ रहे हैं?
बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा दिया है। इसके लिए उसे उत्तर के हिंदी भाषी राज्यों में तो बढ़िया प्रदर्शन करना ही होगा, साथ ही दक्षिण में बीजेपी की पकड़ वाले राज्य कर्नाटक में भी बेहतर प्रदर्शन करना होगा। यदि बीजेपी का वहाँ प्रदर्शन ठीक नहीं रहा तो पार्टी के लिए काफी मुश्किलें आएंगी। कई सर्वे में कांग्रेस को बढ़त मिलती हुई दिखाई गई है। ईडिना के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार कर्नाटक में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 28 में से 17 सीटें मिलने की संभावना है। इसी बीच जनार्दन रेड्डी के बीजेपी में शामिल होने की ख़बर आई है।
कर्नाटक के पूर्व मंत्री और अवैध खनन के आरोपी 'जी जनार्दन रेड्डी' लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी कल्याण राज्य प्रगति पक्ष यानी केआरपीपी का विलय करने के बाद बीजेपी में फिर से शामिल हो गए हैं। इस कदम को केआरपीपी के कारण 2023 के विधानसभा चुनाव में उत्तरी कर्नाटक के कुछ जिलों में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। फिलहाल, रेड्डी राज्य में केआरपीपी के एकमात्र विधायक हैं।
बीजेपी के इस फ़ैसले से वह निशाने पर आ गई है। कांग्रेस ने इसको लेकर सवाल उठाए हैं। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है, 'यह अवैध खनन के आरोपी जनार्दन रेड्डी हैं। 2008-2013 के बीच में अवैध खनन के मामलों में इनके ऊपर 9 सीबीआई के केस हैं, ये जेल भी जा चुके हैं।' उन्होंने कहा, 'एक पूर्व सीबीआई जज के अनुसार जनार्दन रेड्डी की जमानत के लिए जज साहेब को 40 करोड़ रुपये का ऑफर मिला था। अब होगा जादू! फ़टाक से 9 मामले रफ़ादफ़ा हो जाएँगे, गोता जो लगा लिया बीजेपी में!'
उन्होंने ट्वीट में कहा है, 'कल इन्होंने अपनी कल्याण राज्य प्रगति पक्ष पार्टी का विलय बीजेपी में कर दिया। यह बेचारे तो बाहर से समर्थन देना चाह रहे थे लेकिन अमित शाह जी के आग्रह पर इन्हें विलय करना पड़ा।'
57 वर्षीय रेड्डी 2008 से 2013 तक कर्नाटक में बीजेपी की सरकार के दौरान अवैध खनन से संबंधित नौ सीबीआई मामलों में आरोपी हैं।
एक खनन कारोबारी के रूप में जनार्दन रेड्डी की धन की ताक़त और एक एसटी नेता के रूप में श्रीरामुलु की लोकप्रियता 2004 से 2013 तक उत्तरी कर्नाटक के बल्लारी, रायचूर और कोप्पल जिलों में भाजपा की सफलता के प्रमुख बड़े फैक्टर थे।
कर्नाटक में भाजपा के 2008-2013 के कार्यकाल के दौरान रेड्डी और उनके भाई जी सोमशेखर रेड्डी और जी करुणाकर रेड्डी का नाम उछला था। वे विधानसभा और संसद के लिए चुने गए थे। कथित तौर पर जंगलों और निजी और सार्वजनिक फर्मों की लौह-अयस्क खदानों से अवैध रूप से लौह अयस्क हड़पने के लिए वे बदनाम हुए।
2010-11 में कर्नाटक लोकायुक्त की जाँच में जनार्दन रेड्डी द्वारा संचालित एक खनन माफिया द्वारा 2006 और 2011 के बीच कर्नाटक से 12,228 करोड़ रुपये से अधिक के लौह अयस्क के अवैध निर्यात का खुलासा हुआ था। इसमें आरोप लगाया गया था कि कथित तौर पर बल्लारी को अपनी जागीर में बदल दिया गया था।
1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सोनिया गांधी के खिलाफ बल्लारी से भाजपा उम्मीदवार सुषमा स्वराज के लिए काम करने के बाद रेड्डी बंधु प्रमुखता से उभरे।
बल्लारी में अवैध खनन में जनार्दन रेड्डी की भूमिका को कर्नाटक लोकायुक्त ने उजागर किया था और राज्य को हिलाकर रख देने वाली अवैध खनन पर लोकायुक्त की रिपोर्ट के दो महीने बाद सितंबर 2011 में सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर 2008 और 2011 के बीच कर्नाटक में अवैध खनन की सीबीआई जांच की गई। इसमें पाया गया कि कथित तौर पर जनार्दन रेड्डी और उनके सहयोगियों द्वारा संचालित एक खनन माफिया ने बल्लारी और आसपास के इलाकों से अवैध रूप से लौह अयस्क की खुदाई की और इसे परिवहन करने वाले व्यापारियों को बेच दिया। वन मंजूरी और करों के बिना इसका निर्यात बंदरगाहों को किया गया।
रेड्डी को 2011 में गिरफ्तारी के बाद लगभग एक साल तक जेल में रखा गया था। उनको हाल तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बल्लारी क्षेत्र में प्रवेश करने से भी रोक दिया गया था। घोटाले में नाम आने के बाद भाजपा ने 2011 के बाद से धीरे-धीरे जनार्दन रेड्डी से दूरी बना ली, लेकिन पार्टी ने उनके भाइयों और उनके सहयोगी श्रीरामुलु के साथ अपना जुड़ाव जारी रखा। रेड्डी 2022 में केआरपीपी बनाने के लिए औपचारिक रूप से भाजपा से बाहर निकल गए थे।
रेड्डी से हाल ही में कांग्रेस ने भी समर्थन मांगा था। इस साल फरवरी में कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए उनसे समर्थन मांगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए जनार्दन रेड्डी के समर्थन का स्वागत किया।
बहारहाल, सोमवार को केआरपीपी के भाजपा में विलय के बाद पत्रकारों से बात करते हुए रेड्डी ने कहा कि उन्होंने भाजपा को समर्थन देने की पेशकश की थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विलय पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'अमित शाह ने मुझसे कहा कि बाहरी समर्थन का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने मुझे याद दिलाया कि मेरा राजनीतिक जन्म भाजपा में हुआ था और उन्होंने मुझे पार्टी में लौटने के लिए कहा।' उन्होंने कहा कि पहले अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण उन्हें भाजपा से बाहर निकलना पड़ा था।