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सेबी प्रमुख बुच के खिलाफ शिकायत मिलने पर लोकपाल ने ये फरमाया...

सेबी प्रमुख बुच के खिलाफ शिकायत मिलने पर लोकपाल ने ये फरमाया...

सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच अपने पद पर बरकरार है। क्यों बरकरार हैं, इसका एक ही जवाब है, मोदी सरकार की सारी एजेंसियां उनके बचाव में उतर पड़ी हैं। मोदी सरकार द्वार नियुक्त लोकपाल अजय माणिकराव खानविलकर के पास जब सेबी प्रमुख की शिकायत पहुंची तो उन्होंने शिकायतकर्ताओं से कहा कि पहले वे अपने आरोपों को साबित करें। खानविलकर को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद लोकपाल बनाया गया था। खानविलकर अपने कई फैसलों के लिए आलोचना का सामना कर चुके हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एएम खानविलकर यानी अजय माणिकराव खानविलकर की अध्यक्षता वाले लोकपाल को सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ शिकायत मिली। जानते हैं उन्होंने शुक्रवार को शिकायतकर्ताओं से क्या कहा। खानविलकर ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ शिकायत करने वालों से कहा कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों के दावों को पहले साबित करें। उन्हें स्पष्ट करें। 

लोकपाल अजय माणिकराव खानविलकर के आदेश में कहा गया है, "संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आरोपों को स्पष्ट करें जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अर्थ के तहत 'भ्रष्टाचार का अपराध' हो सकता है।" आदेश में शिकायतकर्ताओं को "10.08.202 को प्रकाशित हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में दावों की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता को सत्यापित करने के लिए संबंधित शिकायतकर्ता द्वारा किए गए प्रयासों के विवरण" पर तीन सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

हालाँकि 11 पेज के आदेश में शिकायतकर्ताओं और शिकायत के विषय - सेबी अध्यक्ष - दोनों के नाम को संशोधित कर दिया गया है, लेकिन शिकायत को पूरी तरह से फिर से पेश किया गया है। पिछले हफ्ते, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सेबी प्रमुख बुच के खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि "सेबी प्रमुख राष्ट्रीय हितों को खतरे में डाल रही हैं।" लोकपाल की इस बेंच में विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष रितुराज अवस्थी, जस्टिस एल. नारायण स्वामी और सुशील चंद्रा भी शामिल हैं।

लोकपाल के आदेश में कहा गया है “हम यह स्पष्ट करते हैं कि संबंधित शिकायत में अब तक की गई टिप्पणियों को किसी भी तरह से लोकपाल द्वारा राय की अभिव्यक्ति के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह निर्देश केवल एक प्रक्रियात्मक आदेश है, जो संबंधित शिकायत की वैधता के प्रश्न का परीक्षण करने और अजीबोगरीब स्थिति में (लोकपाल) अधिनियम 2013 की धारा 20 के तहत आवश्यक प्रथम दृष्टया दृश्य दर्ज करने के लिए जारी किया गया है।” मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होने की संभावना है।

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लोकपाल में शिकायत दर्ज कराई है और आरोप लगाया है कि उन्होंने अनुचित आचरण किया और "भारत के राष्ट्रीय हितों को खतरे में डालते हुए" भ्रष्टाचार के मिलीभगत में शामिल हो गए।वकीलों ने कहा कि यह शिकायत मामले को बड़े पैमाने पर जांच के दायरे में ला सकती है क्योंकि लोकपाल पहले कानूनी प्राधिकारी है जिसके पास औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज की गई है। वकील ने कहा, लोकपाल को शिकायत की जांच करनी होगी कि क्या यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आता है।

मोइत्रा ने 11 सितंबर को यह शिकायत दी थी। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपनी पोस्ट के जरिए 13 सितंबर को जानकारी दी। महुआ ने लिखा था- "पुरी बुच के खिलाफ मेरी लोकपाल शिकायत इलेक्ट्रॉनिक और भौतिक रूप में दर्ज कराई गई है। लोकपाल को इसे 30 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच और फिर पूर्ण एफआईआर जांच के लिए सीबीआई/ईडी को भेजना होगा। इसमें शामिल हर इकाई को तलब करने की जरूरत है।"

महुआ की शिकायत ऐसे समय में आई है जब अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार रेगुलेटर के सदस्य के रूप में कार्य करते समय अनुचित, हितों के टकराव और कंपनियों से भुगतान स्वीकार करने के नए आरोपों पर सेबी प्रमुख की "पूर्ण चुप्पी" पर सवाल उठाया है।

हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में अडानी समूह पर स्थानीय बाजार नियमों को दरकिनार करने के लिए टैक्स हेवेन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। उसने पिछले महीने आरोप लगाया कि अडानी समूह के खिलाफ धीमी जांच के पीछे सेबी चेयरपर्सन बुच के पिछले निवेश और सौदे हो सकते हैं। इस बीच अडानी का कथित तौर पर स्विट्जरलैंड के बैंकों में जमा फंड के सीज होने का मामला सामने आया है। अडानी ने हालांकि इस आरोप का खंडन कर दिया है। 

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