संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन भी संसद के दोनों सदनों में हंगामा होता रहा। पहले दिन जहां कृषि क़ानूनों के रद्द होने से पहले इन पर चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी सांसदों ने आवाज़ बुलंद की थी तो दूसरे दिन राज्यसभा से 12 सांसदों के निलंबन के मुद्दे को विपक्षी दलों ने दोनों सदनों में जोर-शोर से उठाया।
राज्यसभा में कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सांसदों का निलंबन बिलकुल ग़लत फ़ैसला है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि माफ़ी मांगने का सवाल ही नहीं है। इस दौरान सांसदों का हंगामा जारी रहा। इसके बाद राज्यसभा ने विपक्ष से वॉक आउट कर दिया। हंगामे के कारण राज्यसभा को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
निलंबन वापस नहीं होगा: नायडू
वेंकैया नायडू ने खडगे की अपील को ठुकरा दिया और कहा कि सदन को इस तरह का फ़ैसला लेने का पूरा हक़ है। उन्होंने कहा कि सांसदों ने अपने व्यवहार को लेकर ख़ेद नहीं जताया है, इसलिए वह उनकी अपील पर विचार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र का बेहद ख़राब अनुभव हम सभी को अभी भी डराता है।
लोकसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ और सदन को कई बार स्थगित करना पड़ा। 12 सांसदों के निलंबन को लेकर शीतकालीन सत्र भी खासा गर्म रहेगा, इस बात की पूरी संभावना है।
इन सांसदों के निलंबन के पीछे पिछले यानी मॉनसून सत्र में किए गए ख़राब व्यवहार को कारण बताया गया है। विपक्षी दलों ने निलंबन की इस कार्रवाई को लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बताया है।
मॉनसून सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में खासा हंगामा हुआ था। राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के वेल में आने की वजह से मार्शल्स को बुलाया गया था और उनकी कुछ सांसदों के साथ धक्का-मुक्की हुई थी। यह घटना 11 अगस्त को हुई थी।
निलंबित सांसदों में छह कांग्रेस, टीएमसी और शिव सेना से दो-दो और सीपीआई और सीपीएम से एक-एक सांसद हैं।
- निलंबित सांसदों में कांग्रेस से फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह हैं।
- टीएमसी से डोला सेन और शांता छेत्री।
- शिव सेना से प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई।
- सीपीएम से एलमारम करीम सीपीआई से बिनॉय विश्वम।