जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रविवार को मचे तांडव की एक बेहद अहम बात यह है कि इस हमले में मुसलमान और वामपंथी रुझान वाले छात्र-छात्राओं को चुन-चुन कर मारा गया, हॉस्टल के उनके कमरों में घुस कर तोड़फोड़ की गई, लड़कियों तक को नहीं बख़्शा गया।
दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों पर कोई हमला नहीं हुआ न ही उनके कमरों में कोई घुसा या किसी तरह की तोड़फोड़ की। ऐसा लगता है मानो हमलावरों के साथ ऐसे लोग भी थे जो हॉस्टल के कमरों और उनमें रहने वालों से परिचित थे। यह भी साफ़ है कि हमलावर उन्हें जानते थे जिनकी पिटाई उन्होंने की।
अंग्रेज़ी वेबसाइट ‘द क्विंट’ ने हिंसा के शिकार ऐसे कुछ लोगों से बात की। पश्तून में एमए कर रहे रहमान मिर्ज़ा ने कहा :
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‘हम तीन लोग थे। हमने दरवाजा बंद रखने में पूरी ताक़त लगा दी। हमें किसी तरह दरवाजे को खुलने से रोकना था, वर्ना हमारी हत्या कर दी जाती। वह डर उस समय था और हम अब भी डरे हुए हैं। पूरे 30 मिनट तक मेरा दिल ज़ोर से धड़कता रहा। मैं अब भी वे धड़कन सुन सकता हूँ। मैं बाहर जाना चाहता हूँ, पर अब भी कमरे से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो रही है।’
रहमान मिर्ज़ा, छात्र, जेएनयू
रहमान मिर्ज़ा जहाँ बैठे थे, ढेर सारे पत्थर पड़े हुए थे, सभी शीशे टूटे हुए थे। उन्हें घर से बार-बार फ़ोन आ रहे थे। उन्होंने क्विंट से कहा :
‘घर से बार-बार फ़ोन आ रहे हैं, वे ज़ोर दे रहे हैं कि मैं ओखला में अपने रिश्तेदार के यहाँ चला जाऊँ। कमरे से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं हो रही हैं, मैं नहीं समझ पा रहा हूँ कि वहाँ तक कैसे पहुँचुंगा।’
रहमान मिर्ज़ा इसके आगे कहते हैं, ‘मैंने सुना है कि उन गुंडों ने योगेंद्र यादव तक से हाथापाई की है। मेरी क्या औक़ात है।’
निशाने पर मुसलमान?
उन्होंने कहा कि एक्टिविस्ट, वामपंथी रुझान वाले छात्रों और मुसलमानों को निशाना बनाया गया। ऐसे कमरे भी हैं, जिन्हें किसी ने छुआ तक नहीं, वे एबवीपी के लोगों या उनके दोस्तों के कमरे हैं।जशन के कमरे में भी तोड़फोड़ हुई। उनके माता-पिता पश्चिम बंगाल में रहते हैं। वे बेहद डरे हुए हैं और जशन को बार-बार फ़ोन कर रहे हैं। जशन ने कहा, ‘हमारे लिए सुरक्षा सबसे बड़ी चीज है।’
दूसरे छात्र जया और भारत के कमरे में भी तोड़फोड़ हुई। जया ने क्विंंट से उस वारदात को याद करते हुए कहा :
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‘मैं आधे घंटे तक फ़र्श पर बैठी रही, रोती रही, चीखती रही। वे लोग आधे घंटे तक दरवाजा पीटते रहे। वे हमें गालियाँ बकते रहे। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि कोई ऐसा भी कर सकता है, मैं अभी भी सदमे में हूँ।’
जया, छात्रा, जेएनयू
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार शाम को हिंसा भड़क गई। दर्जनों नकाबपोश लोगों ने कैंपस में छात्रों और अध्यापकों पर हमला कर दिया। इसमें विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष गंभीर रूप से घायल हो गईं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार क़रीब 50 गुंडे कैंपस में घुसे और तोड़फोड़ करने लगे। उन्होंने कारों में तोड़फोड़ की और लोगों पर हमले भी किए। छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि 'मास्क पहने गुंडों द्वारा मुझ पर घातक हमला किया गया। मेरी बुरी तरह पिटाई की गई।' घटना के बार छात्रसंघ ने एबीवीपी पर हिंसा करने का आरोप लगाया है, जबकि एबीवीपी ने कहा है कि इसके सदस्यों पर वामपंथी छात्रों ने हमला किया है।
दूसरी ओर, एबीवीपी ने आरोप लगाया है कि उसके सदस्यों पर वामपंथी छात्रों ने हमला किया है। एबीवीपी ने ट्वीट किया, 'एबीवीपी के सदस्यों पर वामपंथी छात्र संगठनों- एसएफ़आई, एआईएसए और डीएसएफ़ से जुड़े छात्रों ने हमला किया। क़रीब 25 छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं और 11 छात्रों का पता नहीं चल रहा है। कई एबीवीपी छात्रों पर हॉस्टलों में हमला किया गया और वामपंथी गुंडों द्वारा हॉस्टलों में तोड़फोड़ की गई।'