कुवैत ला रहा है ऐसा क़ानून जिससे 8 लाख भारतीयों को छोड़ना पड़ सकता है देश

11:08 am Jul 13, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

कुवैत में रह रहे क़रीब 8 लाख भारतीयों को कुवैत को छोड़ना पड़ सकता है। दरअसल, कुवैती लोगों से दोगुने से भी ज़्यादा विदेशी लोगों की जनसंख्या वाले इस देश ने विदेशियों की जनसंख्या कम करने का एक क़ानून लाने की तैयारी की है। गल्फ न्यूज़ ने यह ख़बर दी है। वहाँ की सरकार ने विदेशी कोटा बिल का मसौदा तैयार कर लिया है और नेशनल एसेंबली ने उस मसौदे को मंज़ूरी भी दे दी है। उस मसौदे में कहा गया है कि कुवैत में वहाँ की जनसंख्या के 15 फ़ीसदी से ज़्यादा भारतीय नहीं रह सकते हैं। यानी यदि यह क़ानून बन जाता है तो एक कोटे की तय सीमा तक ही किसी देश के लोगों को कुवैत में रहने या नौकरी करने की इजाज़त दी जा सकेगी।

इतनी बड़ी संख्या में भारतीयों के कुवैत छोड़ने का मतलब होगा कि लोगों के रोज़गार जाएँगे। उन लोगों के देश वापस लौटने का एक मतलब यह भी है कि कुवैत से आने वाला रमिटन्स यानी विदेशी धन कम हो जाएगा। भारत के लिए कुवैत विदेशी धन आने के सबसे बड़े ज़रिये में से एक है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 में कुवैत से भारत में 4.8 बिलियन डॉलर रमिटन्स के रूप में आए थे। लेकिन कुवैत सरकार के विदेशी लोगों की संख्या कम करने के प्रस्ताव से भारत को एक तरह से नुक़सान होगा।

दरअसल, कुवैत की कुल जनसंख्या क़रीब 43 लाख है। गल्फ न्यूज़ के अनुसार इस कुल जनसंख्या में से 30 लाख विदेशी हैं। इन विदेशियों में से 14.5 लाख भारतीय हैं। यानी पूरे देश की जनसंख्या में क़रीब 70 फ़ीसदी विदेशी हैं। इसी को देखते हुए विदेशी लोगों की जनसंख्या कम करने की जब तब काफ़ी लंबे समय से माँग उठती रही है। 

लेकिन जब से कोरोना संक्रमण का दौर आया है तब से इस माँग ने और ज़ोर पकड़ा है और माँग की जा रही है कि विदेशी लोगों की संख्या कम की जाए।

कहा जा रहा है कि कोरोना संकट के बाद देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ी है और कच्चे तेल के निर्यात पर निर्भर वहाँ की अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधनों की माँग कम हुई है और कच्चे तेल के दाम कम हुए हैं। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि कुवैत में कोरोना संक्रमण के ज़्यादा मामले विदेशियों में हैं क्योंकि एक-एक कमरे में कई प्रवासी श्रमिक रहते हैं और इससे उनमें वायरस ज़्यादा तेज़ी से फैल रहा है। 

इन्हीं सब रिपोर्टों के बीच पिछले महीने कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबा अल खालिद अल सबाह ने विदेशियों की आबादी देश की जनसंख्या के 70 प्रतिशत से घटाकर 30 फ़ीसदी करने का प्रस्ताव दिया था। अब रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि इस संख्या को धीरे-धीरे कई चरणों में कम किया जाएगा। 

अब सवाल है कि यदि इस हिसाब से कुवैत में भारतीयों की संख्या कम जी जाएगी तो कितने लोगों का रोज़गार जाएगा अब तक इस बारे में साफ़ नहीं किया गया है, लेकिन बड़ी संख्या में लोग इस दायरे में तो आएँगे ही।

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, कुवैत में भारतीय दूतावास का कहना है कि विभिन्न तेल कंपनियों, राष्ट्रीय तेल कंपनियों में इंजीनियरों और कुछ वैज्ञानिकों के रूप में विभिन्न नौकरियों में कुवैती सरकार के लिए क़रीब 28,000 भारतीय काम कर रहे हैं। अधिकांश भारतीय (5.23 लाख) निजी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। इसके अलावा, क़रीब 1.16 लाख लोग उन पर आश्रित हैं। इनमें से देश के 23 भारतीय स्कूलों में क़रीब 60,000 भारतीय छात्र पढ़ते हैं।