किसानों ने आंदोलन को स्थगित करने का एलान कर दिया है। गुरूवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह फ़ैसला लिया गया। मोर्चा की बैठक में यह सहमति बनी है कि 11 दिसंबर से किसान बॉर्डर्स को छोड़ना शुरू कर देंगे। किसान बीते एक साल से दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे थे। किसानों ने सिंघु बॉर्डर से अपने टैंटों और तंबुओं को उखाड़ना शुरू कर दिया है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि किसान बड़ी जीत लेकर घर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को किसान समीक्षा बैठक करेंगे। उन्होंने आंदोलन में सहयोग देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अगर सरकार अपने वादों से इधर-उधर होगी तो किसान फिर से आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि किसान सरकार के वादों की हर महीने समीक्षा करेंगे। कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से उन्हें चिट्ठी मिल गयी है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने वादा किया है कि उनसे बातचीत के बाद ही बिजली विधेयक को संसद में लाया जाएगा।
इससे पहले केंद्र व राज्य सरकारें किसानों पर दर्ज सारे मुक़दमे तुरंत प्रभाव से रद्द करने के लिए तैयार हो गई थीं। इसमें किसान आंदोलन के दौरान और पराली जलाने को लेकर दर्ज हुए मुक़दमे भी शामिल हैं। किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के मुआवज़े को लेकर भी सहमति बन गई है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को किसानों को भेजे संशोधित प्रस्ताव में कहा था कि अब किसान संगठनों को अपना आंदोलन ख़त्म कर देना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के संशोधित प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी।
संशोधित प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार बाक़ी राज्यों से भी अपील करेगी कि वह किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस ले लें। बीजेपी शासित राज्य सरकारें- उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश ने मुक़दमे तुरंत प्रभाव से ख़त्म करने के लिए अपनी सहमति दे दी है। पंजाब सरकार पहले ही ऐसा कर चुकी है।
मंगलवार को केंद्र सरकार ने किसानों को उनकी मांगों को पूरा करने के संबंध में प्रस्ताव भेजा था। लेकिन किसानों ने इसमें कुछ कमियां बताते हुए इसे सरकार के पास भेज दिया था। इसके बाद सरकार की ओर से संशोधित प्रस्ताव आया।
केंद्र सरकार ने किसानों के सामने प्रस्ताव रखा है कि वह एमएसपी को लेकर कमेटी बनाएगी। इस कमेटी में सरकारी अफ़सर, कृषि विशेषज्ञ और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि शामिल होंगे।