आंदोलन के 8 माह पूरे, जंतर-मंतर पर महिला किसान संसद का आयोजन

01:31 pm Jul 26, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों द्वारा जंतर-मंतर पर चलाई जा रही किसान संसद जारी है। सोमवार का दिन किसान संसद में इसलिए अहम है क्योंकि इस दिन इसमें भाग लेने के लिए महिलाएं जंतर-मंतर पर पहुंची हैं। किसानों की यह संसद 13 अगस्त तक चलेगी। सोमवार को ही किसानों के आंदोलन को 8 माह का वक़्त भी पूरा हो चुका है। 

किसान संसद के दौरान किसान हर दिन सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर पर मौजूद रहेंगे। इस साल 26 जनवरी को हुई हिंसा के कारण दिल्ली पुलिस किसानों के इस आयोजन को लेकर खासी सतर्कता बरत रही है। दिल्ली पुलिस ने किसानों के इस आयोजन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया है और पूरे महकमे को हाई अलर्ट पर रखा गया है। 

किसान संसद को देश की संसद की तर्ज पर ही चलाया जा रहा है। इसमें शामिल सदस्य अपने सवाल स्पीकर बनाए गए शख़्स के सामने रखते हैं और संसद में शामिल बाक़ी किसान इन सवालों के जवाब देते हैं। 

किसानों को विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से भी जोरदार समर्थन मिल रहा है और संसद के दोनों सदनों में इस मामले को जोर-शोर से उठाया जा रहा है। 

बता दें कि किसानों को हर दिन 200 की संख्या में बसों के जरिये जंतर-मंतर लाया जाएगा और यहां पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वे हर दिन अपनी संसद का आयोजन करेंगे। किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस को भरोसा दिलाया है कि उनका प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित होगा। 

8 माह का कठिन संघर्ष 

पंजाब से चले किसान 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचे थे और बाद में हरियाणा-राजस्थान में भी किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस दौरान किसान ठंड, गर्मी और भयंकर बरसात से भी नहीं डिगे और खूंटा गाड़कर बैठे हैं। इस दौरान उन्होंने रेल रोको से लेकर भारत बंद तक कई आयोजन किए। 

सियासी माहौल गर्म, घिरी सरकार

किसान आंदोलन को लेकर पिछले 8 महीने से देश का सियासी माहौल बेहद गर्म है। तमाम विपक्षी दल किसानों की आवाज़ को संसद में उठा रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत भी हुई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था। किसानों का कहना है कि तीनों कृषि क़ानून रद्द होने और एमएसपी को लेकर गारंटी एक्ट बनने तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। तमाम विपक्षी दलों के किसान आंदोलन को समर्थन देने के बाद सरकार घिर गई है। 

ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे राहुल 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे। राहुल गांधी के साथ ट्रैक्टर पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ ही पंजाब कांग्रेस के कुछ सांसद भी मौजूद रहे।

राहुल गांधी के इस क़दम से कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश है कि वह किसानों की आवाज़ को पुरजोर तरीक़े से उठाती रहेगी। साथ ही कांग्रेस यह भी दिखाना चाहती है कि विपक्षी दलों में वह सबसे मजबूत ढंग से किसानों के साथ खड़ी है। 

इस मौक़े पर राहुल गांधी ने कहा कि ये तीनों कृषि क़ानून दो-तीन उद्योगपतियों के फ़ायदे के लिए लाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को ये क़ानून वापस लेने ही पड़ेंगे। राहुल ने कहा कि किसानों का हक़ छीना जा रहा है। राहुल जिस ट्रैक्टर से संसद पहुंचे, उसमें लगे होर्डिंग में लिखा गया है कि किसान विरोधी कृषि क़ानून वापस लो। 

मुज़फ्फरनगर में होगी महापंचायत 

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में हुंकार भरने जा रहा है। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और 7 महीने बाद इन राज्यों में चुनाव होने हैं। किसानों की इस हुंकार की शुरुआत 5 सितंबर को मुज़फ्फरनगर से होगी, जहां इस दिन राष्ट्रीय महापंचायत रखी गई है। 

संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में फ़ैसला लिया गया है कि 5 सितंबर की राष्ट्रीय महापंचायत से पहले अगस्त के महीने में उत्तर प्रदेश के हर जिले में बैठक की जाएंगी। 

महापंचायत के बाद उत्तर प्रदेश के 17 और उत्तराखंड के 2 मंडलों में अक्टूबर व नवंबर में बैठकें होंगी। इसे ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ नाम दिया गया है। मोर्चा ने कहा है कि मोर्चा के नेता इस दौरान लोगों के बीच में पहुंचेंगे।