किसानों और सरकार के बीच शनिवार को विज्ञान भवन में सातवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। अगली बैठक 8 जनवरी को होगी। बैठक में किसानों की ओर से 40 किसान संगठनों के नेता मौजूद रहे जबकि सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, राज्यमंत्री सोम प्रकाश, कृषि विभाग के अफ़सरों ने हिस्सा लिया। उधर, कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों का आंदोलन जारी है।
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार देश भर के किसानों के लिए प्रतिबद्ध है और वह इस बात को ध्यान में रखकर ही इस मामले में कोई फ़ैसला लेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के समग्र हित को ध्यान में रखकर ही यह क़ानून बनाया है। उन्होंने एक बार फिर कहा कि मोदी सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इस मसले का हल निकलेगा।
दूसरी ओर, बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि उनका जोर इसी बात पर रहा कि सरकार को कृषि क़ानून वापस लेने ही पड़ेंगे और उन्हें आगे कोई बातचीत नहीं करनी है। इसके अलावा एमएसपी को क़ानूनी रूप देने की मांग भी की गई। किसान नेताओं ने कहा कि अगले दौर की बातचीत में भी कृषि क़ानून और एमएसपी पर ही बातचीत होगी।
इससे पहले 30 दिसंबर को हुई वार्ता में सरकार और किसानों के बीच दो विषयों पर रजामंदी बन गई थी। पराली से संबंधित अध्यादेश और प्रस्तावित बिजली क़ानून को लेकर किसानों की मांगों को मान लिया गया था।
इस बीच, किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो वे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मौक़े पर ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसेंगे।
किसान आंदोलन में लगातार हो रही मौतें भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अब तक 60 से ज़्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।
सरकार को चेताया
किसानों ने एक बार फिर मोदी सरकार को चेताया है कि वह उनकी मांगों को गंभीरता से ले और उन्हें तुरंत मान ले। किसान नेताओं ने कहा है कि अगर यह वार्ता फ़ेल होती है तो वे अपना आंदोलन तेज़ करेंगे। किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए बनाए गए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वे 7 से 20 जनवरी तक पूरे देश में ‘देश जागृति अभियान’ चलाएंगे। इसके साथ ही 18 जनवरी को महिला किसान दिवस और 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन पर किसान चेतना दिवस मनाया जाएगा।
किसानों के आंदोलन पर देखिए वीडियो-
उन्होंने कहा कि हरियाणा में टोल प्लाज़ा फ्री रहेंगे और सभी पेट्रोल पंप और मॉल्स बंद रहेंगे। किसानों ने कहा कि बीजेपी और जेजेपी के नेताओं का इनका गठबंधन बने रहने तक हरियाणा भर में विरोध जारी रहेगा और अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार भी जारी रहेगा।
किसान नेता इससे पहले भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद का कार्यक्रम कर चुके हैं। हरियाणा में टोल प्लाजा फ्री करने का भी कार्यक्रम उन्होंने किया है। 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान किसानों ने थालियां बजाकर इसका विरोध किया था।
किसानों का कहना है कि वे अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं और तब तक नहीं जाएंगे जब तक ये कृषि क़ानून वापस नहीं हो जाते। उनका कहना है कि ये कृषि क़ानून उनके लिए डेथ वारंट हैं और इनके लागू होने से वे तबाह हो जाएंगे।
किसानों ने कहा कि 13 जनवरी को लोहड़ी पर तीनों क़ानूनों की प्रतियों को प्रतीकात्मक विरोध के रूप में जलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिला किसानों और प्रदर्शनकारियों को सम्मानित करने के लिए 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शनपाल ने कहा, 'अगर 26 जनवरी तक सरकार द्वारा मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान शांतिपूर्वक और अहिंसक तरीक़े से दिल्ली में ट्रॉली/ट्रैक्टर परेड का नेतृत्व करेंगे। ऐसे मार्च सभी राज्यों की राजधानियों और ज़िला मुख्यालयों पर भी आयोजित किए जाएंगे।