पंजाब-हरियाणा सहित कई राज्यों के किसानों का दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर धरना जारी है। हरियाणा के कई जिलों से बड़ी संख्या में किसान धरने में पहुंच रहे हैं और पंजाब से भी लगातार जत्थेबंदियां आ रही हैं। इससे किसानों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर, मरकज़ी सरकार के साथ मंगलवार शाम को हुई बैठक बेनतीजा रही है। यह बैठक विज्ञान भवन में हुई। 3 दिसंबर को फिर से बातचीत होगी।
बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने एक कमेटी बनाने की बात कही है। इस कमेटी में किसानों के अलावा सरकार के अफ़सर भी शामिल होंगे। किसानों की एक सूत्रीय मांग यही है कि तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द कर दिया जाए।
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को ही यह फ़ैसला लेना है कि वे आंदोलन कब ख़त्म करेंगे।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी का कहना है कि सरकार सोचती है कि हम थक जाएंगे और हार मान लेंगे लेकिन हम हार नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि ये अच्छा होगा कि किसानों के दिल्ली को सील करने से पहले सरकार हमसे बिना किसी शर्त के बातचीत करे। योगेंद्र यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक के किसान संगठन इस आंदोलन से जुड़ गए हैं।
सोमवार को दिल्ली-एनसीआर की टैक्सी यूनियन भी किसानों के समर्थन में उतर आई थी। यूनियन ने कहा है कि अगर दो दिन के भीतर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो कैब, टैक्सी, ऑटो और ट्रक ड्राईवर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बुराड़ी ग्राउंड आने की अपील को भी किसान ठुकरा चुके हैं। किसान नेताओं का कहना है कि बातचीत के लिए किसी भी तरह की शर्त उन्हें मंजूर नहीं है।
किसानों ने रविवार शाम को भी कहा था कि बुराड़ी ग्राउंड ओपन जेल की तरह है और वे वहां नहीं जाएंगे। किसान नेताओं ने कहा है कि दिल्ली में आने के 5 मुख्य रास्ते हैं, इन जगहों को वे जाम कर देंगे और दिल्ली की जोरदार घेराबंदी करेंगे। किसान नेताओं ने कहा था कि उन्हें रहने-खाने की कोई दिक्कत नहीं है और वे आराम से 4 महीने रोड पर बैठ सकते हैं।
भ्रम फैला रहे हैं लोग: मोदी
किसान आंदोलन के शोर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा है कि कुछ लोग किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। नए क़ानूनों के तहत मंडियों को ख़त्म करने को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर मोदी ने कहा कि अगर मंडियों और एमएसपी को ख़त्म करना होता तो हम इन पर इतना निवेश क्यों करते। उन्होंने कहा कि सरकार मंडियों को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपये ख़र्च कर रही है।मोदी ने कहा, ‘सरकारों की नीतियों को लेकर सवाल उठना लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन अब विरोध का आधार सरकार के फ़ैसलों को नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी यही खेल खेला जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
हर्फ चीमा और कंवर ग्रेवाल।