चर्चित कठुआ गैंगरेप व मर्डर केस मामले में पठानकोट की अदालत ने तीन दोषियों को उम्रक़ैद की सजा सुनाई है जबकि तीन अन्य को 5-5 साल क़ैद की सजा सुनाई है। जिन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, उनमें सांझी राम, दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार का नाम शामिल हैं। जबकि तिलक राज, आनंद दत्ता और सुरेंद्र कुमार को 5-5 साल क़ैद की सजा सुनाई गई है और इन तीनों को ही सबूतों को नष्ट करने का दोषी पाया गया है।
इससे पहले अदालत ने मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान सांझी राम, स्पेशल पुलिस अफ़सर दीपक खजूरिया, प्रवेश कुमार, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तिलक राज, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता और पुलिस अफ़सर सुरेंद्र वर्मा को दोषी क़रार दिया था। एक आरोपी विशाल को बरी कर दिया गया है। सुनवाई के दौरान सभी अभियुक्त पठानकोट स्थित स्पेशल कोर्ट में मौजूद थे।
इस मामले की गूँज जम्मू से लेकर दिल्ली और देश भर में सुनाई दी थी। मामले की सुनवाई पंजाब के पठानकोट में ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह की अदालत में हुई थी। मामले में 100 से ज़्यादा सुनवाई हुई थीं और 130 से अधिक गवाहों के बयान सुने गए थे। इस मामले में 3 जून को सुनवाई पूरी हो गई थी। पठानकोट में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किये गये थे।
सुप्रीम कोर्ट के दख़ल के बाद इस मामले को जम्मू से पठानकोट स्थानांतरित किया गया था ताकि मामले की सुनवाई निष्पक्ष तरीक़े से हो सके। जाँच दल ने मामले में 221 गवाह बनाए थे, जिनकी गवाही अदालत में हुई। ज़िला एवं सत्र न्यायालय ने 8 जून 2018 को इस मामले में सात अभियुक्तों के ख़िलाफ़ बलात्कार और हत्या के आरोप तय किए थे।
जम्मू के कठुआ में 10 जनवरी 2018 को 8 साल की बच्ची लापता हो गई थी। सात दिनों बाद उसकी लाश क्षत-विक्षत हालत में मिली थी।
मामले में दाख़िल की गई 15 पन्नों की चार्जशीट के अनुसार, कठुआ जिले के रसाना गाँव में पिछले साल 10 जनवरी को आठ साल की एक बच्ची का अपहरण कर लिया गया था। उसके बाद गाँव के एक मंदिर में कथित तौर पर उसके साथ चार दिन तक रेप किया गया और फिर लाठी से पीट कर हत्या कर दी गई। बलात्कार और उसकी हत्या ने सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया था।अदालत में अभियोजन पक्ष की दलील थी कि बच्ची का अपहरण और हत्या जम्मू क्षेत्र के रसाना नामक एक गाँव से बकरवाल समुदाय के सदस्यों को बाहर निकालने की साज़िश का हिस्सा था। इसमें से सांझी राम ने लडक़ी के अपहरण, बलात्कार और हत्या की साज़िश रची। अन्य अभियुक्त सांझी राम के भतीजे (एक किशोर), सांझी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा, एक स्नातक छात्र, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज, उप-निरीक्षक आनंद दत्ता थे। साथ ही एक अन्य नाबालिग भी अभियुक्त था।
यह मामला 9 अप्रैल 2018 को सुर्खियों में आया जब पुलिस ने कठुआ की अदालत में आरोप पत्र दायर किया। पुलिस को आरोप पत्र दाख़िल करने से रोकने के लिए, स्थानीय वकीलों ने हंगामा किया और निचली अदालतों में कानून-व्यवस्था का मखौल बना दिया। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप कर इस मुक़दमे को पठानकोट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया और साथ ही प्रत्येक दिनों की कार्रवाई कैमरे के समक्ष करने की बात कही।
मामले में तत्कालीन पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार का हिस्सा रहे बीजेपी के दो मंत्रियों, चौधरी लाल सिंह और चंद्र प्रकाश गंगा ने आरोपियों के समर्थन में निकाली गई रैली में हिस्सा लिया था। बाद में यह मामला सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों पीडीपी और बीजेपी के बीच विवाद का विषय बन गया था, जिसके बाद दोनों मंत्रियों को अपना पद छोड़ना पड़ा था।
क्या है पोस्टमार्टम, फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट में
पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की कोर्ट में पेशी हुई थी। गवाह के रूप में फ़ॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के एक्सपर्ट को भी पेश किया गया। बताया जा रहा है कि इन्हीं एक्सपर्ट ने पीड़ित बच्ची के कपड़ों की जाँच की थी।
गवाह के रूप में पेश हुए पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने कोर्ट को बताया था कि दुष्कर्म करने से पहले बच्ची को नशीली गोलियाँ खिलाई गई थीं, जो इतनी तेज़ थीं कि बच्ची की आवाज़ तक नहीं निकली। नशे की हालत में ही बच्ची से दुष्कर्म किया गया।
डॉक्टर ने कोर्ट को बताया कि बच्ची का यौन उत्पीड़न किया गया था और उसकी मौत दम घुटने से हुई। पोस्टमार्टम करते समय बच्ची के साथ दरिंदगी के जो निशान दिखे, आज तक किसी के साथ ऐसी हैवानियत नहीं देखी थी। डॉक्टरों के बयान से अभियोजन का मामला और मज़बूत हुआ है।
बकरवाल समुदाय के ख़िलाफ़ साज़िश
पुलिस के अनुसार, बच्ची का अपहरण और हत्या जम्मू क्षेत्र के रसाना नामक एक गाँव से बकरवाल समुदाय के सदस्यों को बाहर निकालने की साज़िश का हिस्सा था। पुलिस के अनुसार, एक पूर्व राजस्व अधिकारी और प्रसिद्ध स्थानीय व्यक्ति सांझी राम ने लड़की के अपहरण, बलात्कार और हत्या की साज़िश रची।
पुलिस के अनुसार, जाँच में पता चला कि सांझी राम रसाना, कूटा और धाम्याल इलाक़ों में बकरवाल समुदाय के बसाए जाने के ख़िलाफ़ था। सांझी राम और उसके साथियों की इस जनजाति के ख़िलाफ़ मुख्य शिकायत फ़सल विनाश और उनके ‘मूल क्षेत्र’ में बढ़ती उपस्थिति थी। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि सांझी राम ने किशोर को समुदाय से बदला लेने के लिए उकसाया। इसलिए, 10 जनवरी को, जब वे आठ साल की बच्ची को सांझी राम के स्वामित्व वाले ‘देवी-चरण’ (देवी का मंदिर) में ले गए तो किशोर और एक अन्य दोस्त ने लड़की को मन्नार (एक स्थानीय मादक पेय) की दो बोतलें पिला कर बेहोश कर दिया। लड़की के साथ बलात्कार किए जाने के बाद, खजूरिया ने लड़की को असहाय और बेहोश रखने की पूरी कोशिश की। उसे एसपीओ द्वारा बलपूर्वक शामक की उच्च खुराक दी गई।
पुलिस के अनुसार 12 जनवरी को किशोर ने कथित तौर पर अपने दोस्त विशाल जंगोत्रा (सांझी राम के बेटे) को मेरठ से बुलाया। किशोर और जंगोत्रा ने उसके साथ बलात्कार भी किया। पुलिस के अनुसार देवी-स्थान पर सांझी राम के निर्देशन में, किशोर, उसका दोस्त और विशाल कथित तौर पर लड़की को पास के पुलिया पर ले गया। चार्जशीट के अनुसार, जब सभी उसे मारने के लिए तैयार थे, तो खजूरिया ने उन्हें रोकने के लिए कहा क्योंकि वह ‘उसे मारने से पहले उसका बलात्कार करना चाहता था। इसके बाद, खजूरिया और फिर किशोर द्वारा लड़की का फिर से सामूहिक बलात्कार किया गया। फिर अभियुक्तों ने उसकी हत्या कर शव को जंगल में फेंक दिया।