पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने हाल ही में अपने संस्मरणों को जारी किया है। इसमें एक तसवीर भी है, जिसमें वे कुछ जजों के साथ दिल्ली के एक लग्जरी होटल में डिनर कर रहे हैं। इसके कैप्शन में लिखा है- 'सेलिब्रेटिंग द लैंडमार्क अयोध्या वर्डिक्ट'। ये सभी जज उनके साथ अयोध्या विवाद पर फ़ैसला सुनाने वाली बेंच में शामिल थे।
‘जस्टिस फ़ॉर द जज’ नाम से आत्मकथा लिखने वाले गोगोई ने एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में इस तसवीर के बारे में कहा, “फ़ैसले वाली शाम को मैं अपने साथी जजों के साथ डिनर के लिए ताज मान सिंह होटल में गया। हमने चाइनीज खाना खाया और शराब की एक बोतल भी शेयर की।”
एनडीटीवी की ओर से यह पूछे जाने पर कि अयोध्या जैसे विवादित मसले पर फ़ैसले के बाद क्या सेलिब्रेशन करना सही था, गोगोई ने इस बात से इनकार किया कि यह कोई सेलिब्रेशन जैसा था। उन्होंने कहा कि क्या आपका कभी मन नहीं करता कि आप बाहर का खाना खाएं।
यह पूछे जाने पर कि क्या यह उन लोगों को ख़राब नहीं लगेगा, जिन्हें इस फ़ैसले में हार मिली है। जस्टिस गोगोई ने कहा कि बेंच में शामिल सभी जजों ने अयोध्या विवाद पर फ़ैसले के लिए चार महीने तक जमकर काम किया। उन्होंने उल्टा ही एनडीटीवी से सवाल पूछा कि क्या उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसे करने की अनुमति नहीं थी।
गोगोई ने कहा कि सीजेआई कोई स्वर्ग से नहीं उतरते हैं। 40 साल की कठिन मेहनत के बाद ही उन्हें प्रतिष्ठा मिलती है और इसे बर्बाद करने की कोशिश होती है।
अपनी आत्मकथा में उन्होंने उनके राज्यसभा में जाने को लेकर हुए विवाद पर भी अपनी बात रखी है। राज्यसभा का रिकॉर्ड बताता है कि इस सदन में उनकी हाज़िरी 10 फ़ीसदी से भी कम रही है।
यौन उत्पीड़न का आरोप
जस्टिस गोगोई पर सीजेआई दफ़्तर में जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के पद पर काम कर चुकी एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला को नौकरी से बर्खास्त करने के अलावा, उसके पति और देवर को दिल्ली पुलिस की नौकरी से निलंबित कर दिया गया था। हालांकि बाद में उन्हें नौकरी पर बहाल कर दिया गया था। इसे लेकर तब गोगोई विवाद में रहे थे।
गोगोई ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे उन्हें कुछ अहम सुनवाइयों से रोकने की साज़िश क़रार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि गोगोई के ख़िलाफ़ कोई साज़िश रची गई हो।
गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने वर्षों से चले आ रहे अयोध्या विवाद मामले के अलावा लोकसभा चुनाव 2019 में सरकार और विपक्ष के बीच चुनाव का मुद्दा बने राफ़ेल लड़ाकू विमान के सौदे में कथित गड़बड़ी के मामले में भी फ़ैसला सुनाया था।