देश के चोटी के 40 पत्रकारों की जासूसी पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए की गई है। इसमें 'हिन्दुस्तान टाइम्स', 'द हिन्दू', 'इंडियन एक्सप्रेस', 'इंडिया टुडे', 'न्यूज़ 18' और 'द वायर' के पत्रकार शामिल हैं।
'द वायर' ने एक ख़बर में यह दावा किया है। 'एनडीटीवी' ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि इसके अलावा 'संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति' और विपक्ष के तीन नेताओं की जासूसी भी स्पाइवेअर से की गई है।
लीक हुए एक दस्तावेज़ में इन लोगों के नाम हैं। निष्पक्ष व स्वतंत्र एजेंसी ने डिजिटल फ़ोरेंसिक जाँच कर कहा है कि दस्तावेज़ में जिनके नाम हैं, उनकी जासूसी की गई है या कम से ऐसा करने की कोशिश की गई है।
इज़रायली कंपनी एनएसओ पेगासस सॉफ़्टवेअर बना कर बेचती है। इस सॉफ़्टवेअर के जरिए टेलीफ़ोन के डेटा चुरा लिए गए, उन्हें हैक कर लिया गया या उन्हें टैप किया गया।
'द वायर' के संस्थापक सदस्य, डिप्लोमैटिक एडिटर और कंट्रीब्यूटर को भी इस स्पाइवेअर का निशाना बनाया गया।
इसके अलावा इस जासूसी सॉफ़्टवेअर के निशाने पर रोहिणी सिंह भी हैं। रोहिणी सिंह वही पत्रकार हैं, जिन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नज़दीक समझे जाने वाले व्यवसायी निखिल मर्चेंट पर खबरें की थीं।
साल 2018 में 'इंडियन एक्सप्रेस' के लिए काम कर रहे पत्रकार सुशांत सिंह की भी जासूसी हुई है। वे उस समय रफ़ाल पर रिपोर्टिंग कर रहे थे और उन्होंने कई ख़बरें की थीं, जिनसे रफ़ाल सौदे में अनियमितताओं का पता चला था।
क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?
फ्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज़' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने लीक हुए दस्तावेज़ का पता लगाया और 'द वायर' और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया। इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट।
'द गार्जियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोंद' ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फ़ोरेंसिक जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।
जासूसी सॉफ़्टवेअर के निशाने पर ये पत्रकार
जिन पत्रकारों की जासूसी की गई, उनमें से सबसे ज़्यादा दिल्ली के ही हैं।
'हिन्दुस्तान टाइम्स' के कार्यकारी संपादक शिशिर गुप्ता, संपादकीय पेज के प्रभारी प्रशांत झा, रक्षा मामलों के रिपोर्टर राहुल सिंह और कांग्रेस की ख़बर करने वाले औरंगज़ेब नक्शबंदी प्रमुख हैं।
चुनाव आयोग कवर करने वाली ऋतिका चोपड़ा, जम्मू-कश्मीर कवर करने वाले मुजम्मल जमील, 'इंडियन एक्सप्रेस' के संदीप उन्नीथन, 'इंडिया टुडे' के मनोज गुप्ता और 'द हिन्दू' की विजेयता सिंह की भी जासूसी पेगासस सॉफ़्टवेअर से की गई।
भारत में पेगासस
भारत में पेगासस का नाम सबसे पहले 2019 में उस समय आया था जब वॉट्सऐप ने स्वीकार किया था कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो हफ़्ते के लिये भारत में कई पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई थी।
फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले वॉट्सऐप ने कहा था कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स की निगरानी की थी।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, यह हैरान करने वाली जानकारी सैन फ़्रांसिस्को की एक अमेरिकी संघीय अदालत में एक मुक़दमे की सुनवाई के दौरान सामने आई थी।
एनएसओ का जाल
इस मुक़दमे में वॉट्सऐप ने आरोप लगाया था कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूजर्स पर नजर रखी थी।
एनएसओ समूह और क्यू साइबर टेक्नोलॉजीज के ख़िलाफ़ मुक़दमे में, वॉट्सऐप ने आरोप लगाया था कि इन कंपनियों ने अमेरिका और कैलिफ़ोर्निया के क़ानूनों के साथ-साथ वॉट्सऐप की सेवा की शर्तों का भी उल्लंघन किया है। यह भी दावा किया गया था कि मिस्ड कॉल के जरिये इन लोगों के स्मार्टफ़ोन में घुसकर इन पर नजर रखी गई।
स्पाइवेअर यानी जासूसी सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल कर वॉट्सऐप से कैसे की गई थी जासूसी, देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष को।