जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में आपत्तिजनक जातिवादी नारों के जवाब में अब वामपंथियों के विरोध में नारे लिखे गए हैं। जिनमें सबसे चर्चित नारा है - कम्युनिस्टों भारत छोड़ो। इन नारों को लिखने की जिम्मेदारी हिन्दू रक्षा दल नामक संगठन ने ली है। इस तरह के नारे शनिवार को जेएनयू को लिखे नजर आए। आपत्तिजनक जातिवादी नारों के लिए आरएसएस से संबद्ध छात्र संगठन एबीवीपी ने वामपंथी गुटों पर आरोप लगाए थे, जिसका वाम गुटों ने खंडन किया था। इश घटनाक्रम के बाद जेएनयू प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाने और कई स्थानों पर सीसीटीवी लगाने का फैसला किया।
पीटीआई के मुताबिक मौजूदा नारों में कम्युनिस्टों पर तो टिप्पणी की गई लेकिन सबसे आपत्तिजनक यह है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आईएस (इस्लामिक स्टेट) के साथ जोड़ दिया। हिन्दू रक्षा दल के सदस्यों ने कथित तौर पर कम्युनिस्टों के खिलाफ नारे लिखे। उन्होंने लिखा, "कम्युनिस्ट भारत छोड़ो", "कम्युनिस्ट = आईएसआईएस", और "जिहादी भारत छोड़ो। दरअसल, दीवार पर नारों के आगे यह भी लिखा था, "हिन्दू रक्षा दल।"
जेएनयू प्रशासन ने कहा कि वह इस तरह के कृत्यों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। उसने मामले की जांच शुरू कर दी है।
पीटीआई के मुताबिक हिंदू रक्षा दल के सदस्यों का मानना है कि कम्युनिस्टों ने ब्राह्मण विरोधी और हिंदू विरोधी नारे लिखे हैं। इसके विरोध में दल के साथियों ने उनके खिलाफ लिखा। सूत्रों ने बताया कि नारे लिखने के बाद कुछ तत्वों ने जेएनयू के मुख्य द्वार के बाहर नारेबाजी भी की।
छात्र संगठन जेएनयूएसयू ने शुक्रवार को कहा था कि यह पहली बार नहीं है कि जेएनयू में इस तरह की हरकतें की गई हैं। इस साल की शुरुआत में, जेएनयू की दीवारों पर अज्ञात तत्वों ने "मुस्लिम लाइव्स डोंट मैटर" (मुस्लिम जिन्दगियों का कोई महत्व नहीं) लिखा गया था। इस तरह के नारे स्पष्ट रूप से जेएनयू कैंपस के माहौल को खराब करने और सामान्य स्थिति को बिगाड़ाने के लिए लिखे गए थे। ऐसा पहली बार नहीं है कि यूनिवर्सिटी के अंदर इस तरह की हरकत हुई है। कई उदाहरण पहले भी हैं। छात्राओं के हॉस्टल पर हमले तक हुए, जिनमें छात्राओं को मारा-पीटा गया। उसके आरोपी आजतक गिरफ्तार नहीं किए गए।
छात्रों ने दावा किया कि ब्राह्मणों और बनिया समुदायों के खिलाफ नारों के साथ दीवारों को तोड़ा गया था, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर साझा की गई हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दीवारों पर लिखे कुछ नारे "ब्राह्मण कैंपस छोड़ो", "वहां खून होगा", "ब्राह्मण भारत छोड़ो" और "ब्राह्मण-बनिया, हम आपके लिए आ रहे हैं! हम बदला लेंगे।"
वामपंथी छात्र गुटों का कहना है कि आपत्तिजनक जातिवादी नारे उनके किसी भी साथी ने नहीं लिखे थे। वो शरारत भी एबीवीपी तत्वों की है, वे इस तरह का माहौल बनाकर अपना मकसद पूरा करना चाहते हैं। इस तरह के नारे कैंपस में कभी नहीं लिखे गए थे। ऐसा पहली बार हुआ है और इस तरह की सोच सिर्फ दक्षिणपंथी समूहों की है।
जातिवादी नारे दो दिन पहले जेएनयू में दिखाई दिए थे।
जेएनयू का बयान
ऐसी घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान देते हुए, जेएनयू की वीसी ने एक बयान जारी कर इस कृत्य की निंदा की और कहा, "ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा क्योंकि जेएनयू सभी का है। नोटिस में कहा गया है, जेएनयू सभी को साथ लेकर चलने और समानता के लिए खड़ा है। वीसी ने कहा कि कैंपस में किसी भी तरह की हिंसा के लिए जीरो टॉलरेंस पर हमारा जोर है।इस बीच वीसी ने तमाम स्थानों पर ज्यादा सीसीटवी लगाने और कैंपस की सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया है। वीसी ने प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश दिया कि जिन जगहों पर सीसीटीवी नहीं लगे हैं, वहां भी लगाए जाएं। खासकर इंटरनेशनल लर्निंग सेंटर में। वीसी ने वहां का दौरा भी किया था।