एक धार्मिक जुलूस के दौरान शनिवार रात हिंसा में घायल दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर (एसआई) मेधालाल मीणा ने कहा कि जहांगीरपुरी में एक मस्जिद के बाहर दोनों समुदायों के बीच विवाद होने पर पुलिस ने शुरू में दोनों समुदायों को अलग कर दिया था। हनुमान जयंती के जुलूस को एक तरफ और मुसलमानों को दूसरी तरफ ले जाया गया। लेकिन कुछ देर बाद वे आमने-सामने आ गए और पुलिसकर्मी बीच में ही फंस गए। हिंसा में एक नागरिक और 8 पुलिसकर्मी घायल हो गए। मीणा के हाथ में गोली लगी थी।हालांकि, सब-इंस्पेक्टर ने कहा कि वह नहीं जानते कि हमलावर कौन थे। उन्होंने यह भी नहीं देखा कि लड़ाई किसने शुरू की।
पुलिस ने इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें असलम भी शामिल है, जिसके बारे में पुलिस का कहना है कि सब-इंस्पेक्टर मीणा को गोली मारी। उसके पास से एक देशी पिस्टल बरामद हुई है। पुलिस ने कहा कि झगड़ा शुरू करने वाले एक अन्य व्यक्ति अंसार को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। मीणा ने कहा कि वह जुलूस के पीछे ड्यूटी पर थे, लेकिन जब विवाद शुरू हुआ तो वह सामने आ गए। वहां बहस शुरू हो गई, मैं वहां गया। फिर विवाद शुरू हो गया। फिर मस्जिद के सामने पथराव शुरू हो गया। लेकिन पुलिस वालों ने दोनों समूहों को अलग कर दिया।
मीणा ने बताया कि हनुमान जयंती वालों को जी ब्लॉक की ओर रवाना किया गया। लेकिन फिर वे लोग वहां से कुशल चौक पहुंच गए। सी ब्लॉक की तरफ से आने वालों को वहीं रोक दिया गया। तब तक शांति थी। लेकिन फिर लाठी और तलवारों के साथ और भी भीड़ आ गई, और उनमें पत्थरबाजी होने लगी। गोलियां भी चलीं। मेरे हाथ में गोली लगी।
मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, रैली एक मस्जिद के सामने से गुजर रही थी, जब अंसार ने कथित तौर पर रैली में भाग लेने वालों से बहस करना शुरू कर दिया। एफआईआर में कहा गया है कि विवाद जल्द ही बढ़ गया और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया।
एक स्थानीय निवासी, नूरजहाँ ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि हिंसा मस्जिद से शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इलाके में किसी हिंदू धार्मिक रैली में लोग हथियार लेकर निकले थे।