इंसकॉग ने कहा है कि कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत में अब कम्युनिटी ट्रांसमिशन के चरण में है यानी यह सामुदायिक स्तर पर फैल रहा है। इसने यह भी कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट कई महानगरों में हावी हो गया है और वहाँ नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
मोटे तौर पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मतलब है कि संक्रमण से पॉजिटिव पाया गया व्यक्ति न तो विदेश गया हो और न ही ज्ञात रूप से वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आया हो। इंसकॉग यानी भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम ही देश में जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली संस्था है जो पता लगाती है कि किसी संक्रमित व्यक्ति को कोरोना के किस वैरिएंट ने संक्रमित किया है।
देश में अब तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के 10 हज़ार मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इंसकॉग द्वारा अब तक कुल 1,50,710 नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है और 1,27,697 नमूनों का विश्लेषण किया गया है।
इंसकॉग के 10 जनवरी के बुलेटिन को रविवार को जारी किया गया है। इसने बुलेटिन में कहा है कि अब तक के अधिकांश ओमिक्रॉन मामले बिना लक्षण वाले हैं या फिर हल्के लक्षण वाले हैं। इसने यह भी कहा है कि मौजूदा लहर में अस्पताल में भर्ती होने वाले और आईसीयू वाले मामले बढ़े हैं, लेकिन ख़तरे का स्तर पहले की तरह ही बरकरार है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इंसकॉग के बुलेटिन में कहा गया है, 'ओमिक्रॉन अब भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन में है और कई महानगरों में प्रभावी हो गया है, जहां नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।' इसने यह भी कहा है कि ओमिक्रॉन का बीए.2 रूप भारत में काफ़ी फैला हुआ है।
इंसकॉग ने कहा है कि हाल ही में आए बी.1.640.2 रूप की निगरानी की जा रही है। इसने कहा है कि इसके तेजी से फैलने का कोई सबूत नहीं है जबकि इसमें प्रतिरक्षा से बचने की विशेषताएं हैं।
वैसे तो ओमिक्रॉन वैरिएंट तीन रूप- बीए.1, बीए.2 और बीए.3 में सामने आया है। ये तीनों रूप ओमिक्रॉन वैरिएंट के हैं। ये तीनों रूप मूल वैरिएंट से इतने अलग नहीं हैं कि इन्हें दूसरा वैरिएंट कहा जाए। यानी इन्हें ओमिक्रॉन फैमिली का माना गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार जितने भी देशों में जीनोम सिक्वेंसिंग में ओमिक्रॉन के मामलों की पुष्टि हुई है उसमें से 99 फ़ीसदी मामले बीए.1 रूप के मिले हैं।
बता दें कि ओमिक्रॉन वैरिएंट बेहद तेज़ी से फैलने वाला वैरिएंट है। यह डेल्टा वैरिएंट से भी काफी तेज़ी से फैलता है। देश में मौजूदा लहर में संक्रमण के मामलों में तेजी से उछाल के लिए ओमिक्रॉन को ही ज़िम्मेदार माना जा रहा है। लेकिन अब तक के आए मामले दिखाते हैं कि अधिकांश रोगियों में ओमिक्रॉन के लक्षण बहुत हल्के हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता कम होती है।