क्या महंगाई वाकई घटेगी, RBI गवर्नर का संकेत

07:20 pm Nov 12, 2022 | सत्य ब्यूरो

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को संकेत दिया कि महंगाई कम हो सकती है। यह बात उन्होंने अक्टूबर के महंगाई आंकड़ों के मद्देनजर कही। शक्तिकांत दास शनिवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने महंगाई को बड़ी चुनौती करार दिया। शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई कि अक्टूबर में महंगाई दर 7 फीसदी से कम रहेगी।

सितंबर में रिटेल महंगाई अगस्त के 7 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 7.4 फीसदी हो गई थी। जिसकी वजह खाने-पीने की वस्तुओं का महंगा होना और ऊर्जा की बढ़ती लागत थी। 

उन्होंने अक्टूबर में महंगाई दर में मामूली कमी के लिए सरकार और आरबीआई दोनों द्वारा पिछले 6-7 महीनों में किए गए उपायों को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि अगर महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर जाती है तो वो तरक्की को रोकती है। महंगाई को बड़ी चुनौती करार देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को उम्मीद जताई कि अक्टूबर में महंगाई दर 7 फीसदी से कम रहेगी।

सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त के 7 प्रतिशत से बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई, जिसका कारण खाद्य और ऊर्जा की ऊंची लागत थी।

उन्होंने अक्टूबर में महंगाई दर में मामूली कमी के लिए सरकार और आरबीआई दोनों द्वारा पिछले 6-7 महीनों में किए गए उपायों को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि अगर महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर जाती है तो वो तरक्की को रोकती है।

उन्होंने कहा, सोमवार को अक्टूबर की महंगाई दर घोषित होगी, हम उम्मीद करते हैं कि अक्टूबर में महंगाई दर 7 फीसदी से कम होगी। महंगाई चिंता का विषय है जिससे हम अब प्रभावी ढंग से निपट रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले छह या सात महीनों में, आरबीआई और सरकार दोनों ने महंगाई को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने अपनी ओर से ब्याज दरें बढ़ाईं और सरकार ने भी कई सप्लाई चेन उपायों को मजबूत किया।

दास ने यह भी कहा कि अगर इंटरनेशनल सप्लाई चेन बहाल हो जाता है तो ग्लोबली बढ़ती महंगाई उम्मीद से जल्दी शांत हो सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में कमी आ रही है, उसका असर विश्व अर्थव्यवस्था पर बेहतर पड़ेगा। 3 नवंबर को, एमपीसी ने मुद्रास्फीति लक्ष्य पर विफलता के संबंध में सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा करने और मसौदा तैयार करने के लिए एक अलग बैठक की। “हमने मोटे तौर पर इसका कारण बताया है कि ऐसा क्यों हुआ और मैंने कई मौकों पर इसके बारे में बात की है। फरवरी में, जब एमपीसी की बैठक हुई, तो हमारा अनुमान प्रोफेशनल पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुमान से अलग नहीं था।

दास ने कहा कि हमने इस साल फरवरी में अनुमान लगाया था कि 2022-23 में हमारी औसत महंगाई लगभग 4.5 प्रतिशत होगी। फरवरी में, ऐसा लग रहा था कि महंगाई अच्छी तरह से नियंत्रण में है और भारत 4 फीसदी के लक्ष्य तक पहुंचने की राह पर है। लेकिन भू-राजनीतिक संकट के कारण, कमॉडिटी की कीमतों में अचानक वृद्धि हुई, अनाज की कीमतें … हम बाहरी कारकों से प्रभावित हुए और मुद्रास्फीति की पूरी तस्वीर बदल गई।