विदेश मंत्रालय ने सोमवार सुबह एक बयान में कहा कि भारत को कूटनीतिक जीत हासिल हुई है। जासूसी के एक कथित मामले में 2022 में गिरफ्तार किए गए आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को कतर ने रिहा कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा- “भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए डहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं। हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को सक्षम करने के लिए कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।”
कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश निजी कंपनी, डहरा ग्लोबल के लिए काम कर रहे थे। वे कतरी अमीरी नौसेना बल में इतालवी U212 पनडुब्बियों को शामिल करने की देखरेख कर रहे थे। आरोप है कि ये कंपनी इजराइल के लिए जासूसी कर रही थी। जिसमें भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी भी शामिल थे।
इन आठ लोगों को 26 अक्टूबर, 2023 को कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। तब 28 दिसंबर, 2023 को भारत ने राजनयिक हस्तक्षेप किया। भारत की अपील पर अदालत ने मौत की सजा को कम कर दिया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उस समय आरोपियों के परिवार से भारत में मुलाकात की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि सरकार उनकी रिहाई के लिए सभी प्रयास करेगी।
पूर्व नौसेना कर्मियों को 30 अगस्त, 2022 को अघोषित आरोप में गिरफ्तार किया गया और जेल में बिल्कुल अलग डाल दिया गया। लगभग एक साल बाद, 4 अगस्त, 2023 को, उन्हें अपने सहयोगियों के साथ जेल वार्ड में जाने की अनुमति दी गई, हर सेल में दो आदमी थे।
जिन आरोपों पर इन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। 9 नवंबर, 2023 को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उसकी कानूनी टीम ने आरोपों का विवरण प्राप्त कर लिया है। हालांकि कुछ भारतीय और कतर की मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि ये लोग जिस कंपनी के लिए काम कर रहे थे, उसे कतर की सरकारी एजेंसियों ने इजराइल के लिए जासूसी करते पाया था। इकोनॉमिक टाइम्स ने इस संबंध में अक्टूबर 2023 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिस कंपनी में भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी काम कर रहे थे, उसे कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने का काम सौंपा गया था।