केंद्र सरकार ने कहा है कि वह भारत आने को इच्छुक अफ़ग़ान सिखों व हिन्दुओं के प्रतिनिधियों के संपर्क में है और जो भारत आना चाहेंगे, उन्हें यहाँ लाने पर विचार किया जाएगा। उनकी हर मुमकिन मदद की जाएगी।
सरकार ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान के जिन लोगों ने वहाँ विकास में भारत का साथ दिया है, वह उनके साथ खड़ा है।
क्या कहा प्रवक्ता ने?
विदेश विभाग के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्होंने आपसी विकास, शैक्षणिक विकास और दोनों देशों की जनता के बीच परस्पर सहयोग बढ़ाने में हमारी मदद की है। हम संकट के समय उनके साथ खड़े हैं।"
यह सवाल खड़ा होता है जिन अफ़ग़ान मुसलमानों ने भारत की मदद की है और अब तालिबान के डर से भाग कर भारत आना चाहते हैं, क्या भारत उनकी मदद नहीं करेगा?
अमेरिका मददगारों को अपने साथ ले गया
यह अहम इसलिए है कि तालिबान के निशाने पर मुसलमान भी रहे हैं और मौजूदा संकट में भी छिटपुट संघर्ष में तालिबान लड़ाकों के हाथों जो अफ़ग़ान मारे गए हैं, उनमें ज़्यादातर तो मुसलमान ही हैं।
बता दें कि अमेरिका उन हज़ारों अफ़ग़ानों को देश से निकाल कर अपने यहां ले गया है, जिन्होंने बीते 20 सालों में उसकी मदद की है। इनमें दुभाषिए, अनुवादक, वकील बड़ी तादाद में हैं। वे मुसलमान हैं।
फंसे हुए हैं भारतीय
बता दें कि लगभग पाँच सौ भारतीय अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में फँसे हुए हैं। उन्हें लाने के लिए भारतीय वायु सेना का विशेष परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर क़ाबुल भेजा गया है।
भारत ने एअर इंडिया के विशेष उड़ान से रविवार को अपने ज़्यादातर बचे-खुचे लोगों को निकाल लिया। एक विमान वहाँ रखा गया ताकि अगले दिन यानी सोमवार को बचे हुए लोगों को निकाला जा सके।
लेकिन काबुल हवाई अड्डे पर जिस तरह की अफरातफरी मची, उसके बीच एअर इंडिया के विमान के लिए वहाँ से उड़ान भरना मुमकिन नहीं हो सका।
जो भारतीय अफ़ग़ानिस्तान के काबुल हवाई अड्डे पर फंसे हुए हैं, उनमें विदेश सेवा के कर्मचारी और सुरक्षा बल के लोग व उनके परिजन हैं।