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मानवाधिकार हनन की अमेरिकी रिपोर्ट को भारत ने बताया- बेहद पक्षपाती

मानवाधिकार हनन की अमेरिकी रिपोर्ट को भारत ने बताया- बेहद पक्षपाती

अमेरिका ने मणिपुर में हालात को लेकर मानवाधिकार हनन की रिपोर्ट किस आधार पर दी? जानिए भारत के विदेश मंत्रालय ने अब प्रतिक्रिया में क्या कहा है।

अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद वहाँ मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ था। इसके साथ ही असहमति की आवाज़ सहित कई और मामलों का ज़िक्र किया गया है। इस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा है कि दस्तावेज़ बेहद पक्षपातपूर्ण है और देश की खराब समझ को दर्शाता है।

भारतीय विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान गुरुवार को अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट पर मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, 'यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत की बहुत खराब समझ को दर्शाती है। हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और आपसे भी ऐसा करने का आग्रह करता हूं।'

भारत के विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब विदेश विभाग की वार्षिक मानवाधिकार मूल्यांकन रिपोर्ट ने मणिपुर में दुर्व्यवहारों का उल्लेख किया है। राज्य में पिछले साल एक जातीय संघर्ष छिड़ गया था। इसमें सौ से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई और हज़ारों लोग बेघर हो गए। अभी भी बड़ी संख्या में लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं।

हाल ही में जारी '2023 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज: इंडिया' नाम की रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष की वजह से काफी मानवाधिकारों का दुरुपयोग हुआ है।

इसमें यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को शर्मनाक बताया और मामले पर कार्रवाई करने को कहा। हालाँकि, क्या कार्रवाई हुई इसके बारे में रिपोर्ट में ज़्यादा कुछ नहीं कहा गया है।

अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में भारत भर में अल्पसंख्यकों, पत्रकारों और असहमति की आवाज़ों पर कथित हमलों का भी उल्लेख किया गया है।

हर साल विदेश विभाग द्वारा जारी की जाने वाली रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस द्वारा अनिवार्य है। इस रिपोर्ट में 14 फरवरी को बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों की 60 घंटे की सर्च का भी उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि यह कार्रवाई ब्रॉडकास्टर द्वारा पीएम मोदी पर एक डॉक्यूमेंट्री के जारी होने के तुरंत बाद हुई।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि कर अधिकारियों ने इस सर्च को बीबीसी के कर भुगतान और स्वामित्व ढाँचे में अनियमितताओं से जुड़ा हुआ बताया, अधिकारियों ने उन पत्रकारों की भी तलाशी ली और उनके उपकरण जब्त किए जो संगठन की वित्तीय प्रक्रियाओं में शामिल नहीं थे।'

2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री का हवाला देते हुए विदेश विभाग ने कहा, 'सरकार ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल किया, मीडिया कंपनियों को वीडियो के लिंक हटाने के लिए मजबूर किया और डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन करने वाले छात्र प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।' बता दें कि तब भारत में उस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

रिपोर्ट द्वारा उठाया गया एक अन्य मुद्दा मोदी सरनेम को बदनाम करने से संबंधित एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि और सजा थी। इस वजह से राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। बाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के बाद राहुल की सदस्यता को बहाल कर दिया गया।

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