नियमित अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानें क़रीब दो साल बाद रविवार को बहाल हो गईं। कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लगने के साथ ही मार्च 2020 में ये उड़ानें निलंबित की गई थीं और तब से अब तक उस निलंबन को आगे बढ़ाया जाता रहा था। निलंबन को आखिरी बार इस साल 28 फरवरी को बढ़ाया गया था।
कोरोना वायरस के तेज़ी से प्रसार को रोकने के प्रयास में 23 मार्च 2020 को भारत से नियमित रूप से निर्धारित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के संचालन को निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि, ऐसे निलंबन के बाद भी एयर बबल व्यवस्था के तहत जुलाई 2020 से भारत और लगभग 45 देशों के बीच विशेष यात्री उड़ानें संचालित होती रहीं। भारत ने अमेरिका, यूके, यूएई, केन्या, भूटान और फ्रांस जैसे देशों के साथ एयर बबल समझौते किए थे।
इससे पहले कोरोना के ख़तरे को कम होता देख पिछले साल नवंबर के आख़िरी हफ़्ते में सरकार ने नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को 15 दिसंबर से बहाल करने का फ़ैसला ले लिया था। लेकिन इसी बीच कोरोना का नया रूप ओमिक्रॉन वैरिएंट आया और फ़ैसले को टालना पड़ा था। इसके बाद नियमित उड़ानों पर प्रतिबंध को आगे के लिए बढ़ा दिया गया था।
बहरहाल डीजीसीए के अनुसार, 40 देशों की 60 एयरलाइनों को ग्रीष्मकाल के दौरान भारत से या भारत के लिए 1,783 फ्रीक्वेंसी संचालित करने की अनुमति दी गई है। ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम 27 मार्च से 29 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने कहा है, 'नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाएँ आज फिर से शुरू हो गई हैं। इससे भारत को दुनिया से जुड़ने में मदद मिलेगी। समर शेड्यूल 2022 के तहत 135 नई उड़ानों का उद्घाटन किया गया है। गोरखपुर-वाराणसी उड़ान का भी आज उद्घाटन किया गया है।'
ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम के लिए छह भारतीय वाहकों के लिए प्रति सप्ताह कुल 1,466 अंतरराष्ट्रीय प्रस्थान को मंजूरी दी गई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के अनुसार, वे 27 देशों में 43 शहरों के लिए उड़ान संचालित करेंगे।
इस साल 8 मार्च को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घोषणा की थी कि कोरोना वायरस मामलों में गिरावट के बीच 27 मार्च से नियमित विदेशी उड़ानें फिर से शुरू होंगी।
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ान संचालन के लिए कोविड दिशानिर्देशों को भी संशोधित किया है।
कोरोना महामारी से त्रस्त एयरलाइंस उद्योग धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ रहा है और सामान्य विदेशी उड़ानों को फिर से शुरू करने से इस क्षेत्र को एक प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
देश के सबसे बड़े इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को उम्मीद है कि नियमित अंतरराष्ट्रीय परिचालन फिर से शुरू होने के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय उड़ान प्रस्थान में महत्वपूर्ण उछाल आएगा।