विदेश मंत्रालय (एमईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के अंतरिम रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से काबुल में मुलाकात की। भारत ने अफगानिस्तान में कारोबारी समूहों को ईरान में चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल की पेशकश की, साथ ही अधिक मानवीय सहायता देने पर भी चर्चा की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने गुरुवार को नई दिल्ली में मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि भारतीय अधिकारी जेपी सिंह ने यात्रा के दौरान तालिबान सरकार के कार्यवाहक रक्षा मंत्री सहित कई अफगान मंत्रियों के साथ कई बैठकें कीं। उन्होंने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वहां संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रमुख से भी मुलाकात की। यह प्रतिनिधिमंडल काबुल में 4 से 6 नवंबर तक दौरे पर था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने वहां मानवीय सहायता पर चर्चा की, और चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करने की पेशकश की। जिससे अफगानिस्तान में कारोबारी समुदाय लेनदेन, निर्यात और आयात और किसी भी अन्य चीज के लिए कर सकें। बता दें कि 2021 से अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान शासन को भारत मान्यता नहीं देता है, लेकिन समय-समय पर अफगान लोगों को गेहूं, दवाएं और मेडिकल सप्लाई सहित मानवीय सहायता प्रदान करता रहता है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब भारत ने तालिबान सरकार के मंत्रियों से बाकायदा कई दौर की बैठक की और चाबहार की पेशकश भी कर दी। यह बहुत बड़ा बदलाव है।
तालिबान मंत्री के साथ बात करते हुए भारतीय अधिकारी जेपी सिंह और अन्य
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- “अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करना हमारे सहायता कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अब तक पिछले कुछ महीनों और कुछ वर्षों में, हमने मानवीय सहायता के कई शिपमेंट भेजे हैं। हमारे अफगानिस्तान के लोगों के साथ लंबे समय से संबंध हैं और ये संबंध देश के प्रति हमारे नजरिए का मार्गदर्शन करते रहेंगे।”
विदेश मंत्रालय ने कहा कि तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब के साथ सिंह की यह पहली बैठक है। याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है।
तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने 6 नवंबर की बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं। करजई ने बुधवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने और सिंह ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे और ऐतिहासिक संबंधों पर चर्चा की और द्विपक्षीय संबंधों को "जितना संभव हो सके" मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया। अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत के सहयोग की सराहना करते हुए करजई ने कहा कि अफगान युवाओं की शिक्षा और प्रशिक्षण, व्यापार के विकास और दोनों पक्षों के बीच यात्रा को आसान बनाने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।