अभी तक ख़बरें आ रही थीं कि कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के दफ़्तरों और घरों पर आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई जैसी बड़ी जांच एजेंसियां छापेमारी कर रही हैं। लेकिन कांग्रेस ने शनिवार को कहा है कि आयकर विभाग ने उसके दिल्ली स्थित मुख्यालय में काम करने वाले पांच कर्मचारियों के घरों पर छापे मारे हैं। पार्टी ने कहा है कि ये लोग उसके मुख्यालय के अकाउंट्स विभाग में काम करते हैं। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी सरकार बदले की भावना से इस तरह की कार्रवाईयां करवा रही है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी ख़बर के मुताबिक़, कांग्रेस के सूत्रों ने कहा है कि कांग्रेस मुख्यालय के अकाउंट्स विभाग में कैशियर मैथ्यू वर्गीज के केरल के चोट्टानिक्कारा स्थित घर पर छापे मारे गए हैं। बताया गया है कि वर्गीज चार दशक से पार्टी के अकाउंट्स विभाग में काम कर रहे हैं। ख़बर के मुताबिक़, कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि आयकर विभाग के अधिकारियों ने कांग्रेस मुख्यालय में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों (अकाउंट्स विभाग से अलग) के घरों पर भी छापे मारे हैं और इसका कारण यह बताया गया है कि वे अकाउंट्स विभाग में काम करते हैं, जबकि यह झूठ है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि यह चुनाव का वक़्त है और पार्टी को अपने उम्मीदवारों को फ़ंड देना होता है। उन्होंने कहा, ‘पार्टी को प्रचार पर पैसा ख़र्च करना होता है लेकिन हमारा अकाउंट विभाग बंद हो चुका है। हमारे सभी अकाउंटेट्स को समन भेजा गया है और आयकर विभाग के अधिकारी उनके घरों में जाकर बैठ गए हैं।’
कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शर्मा ने कहा, ‘वे (सरकार) काफ़ी नीचे स्तर तक गिर गये हैं और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के दफ़्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को निशाना बना रहे हैं। वे लोग सैलरी लेने वाले कर्मचारी हैं और कोई बड़ी मछलियां नहीं हैं।’
कांग्रेस नेता ने कहा कि एक ओर सरकार क्रोनी कैपटलिज़्म को प्रमोट कर देश के खजाने को खाली कर रही है, आरबीआई के कोष को बर्बाद कर रही है और दूसरी ओर वह अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाना बना रही है। कांग्रेस की ओर से उसके कर्मचारियों के घरों पर छापा मारने के ख़िलाफ़ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के घर तक मार्च भी निकाला गया।
शर्मा ने कहा, ‘यह सरकार मन में बदला लेने की भावना से कार्रवाई करती है और अपने राजनीतिक विरोधियों को चुन-चुनकर निशाना बनाती है और ऐसा केवल कांग्रेस और उसके नेताओं के ख़िलाफ़ ही नहीं हुआ है। हाल के सालों में उनका विरोध करने वाली पार्टियों के साथ ऐसा हुआ है, फिर चाहे वह तृणमूल कांग्रेस हो या फिर टीडीपी, बीएसपी या एसपी और यह लिस्ट काफ़ी लंबी है।’
सीबीआई के द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ़्तारी के बाद यह सवाल गया था कि जाँच एजेंसियों के निशाने पर अब कांग्रेस का कौन सा नेता है। चिदंबरम की गिरफ़्तारी के दौरान यह सवाल भी उठा था कि आख़िर सीबीआई को उनके घर की दीवार फांदने की क्या ज़रूरत थी।
ये नेता हैं निशाने पर
चिदंबरम फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं और कांग्रेस के एक और बड़े नेता डीके शिवकुमार भी सलाखों के पीछे हैं। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। सोनिया और राहुल दोनों ही नेशनल हेराल्ड केस में जमानत पर हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा मनी लांड्रिंग और ज़मीन घोटाले के मामले में जमानत पर हैं। वाड्रा के ख़िलाफ़ सीबीआई और ईडी जाँच कर रही हैं।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी सीबीआई जाँच की जद में हैं।
पटेल, गहलोत, रतुल पुरी भी रडार पर
सोनिया गाँधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का नाम अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर ख़रीद घोटाले मामले में चर्चा में हैं और सीबीआई पटेल पर लगे कमीशन लेने के आरोपों की जाँच कर रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी भी बैंक से धोखाधड़ी के मामले में जेल में हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ एंबुलेंस ख़रीद घोटाले की जाँच चल रही है। यह मामला एनआरएचएम के तहत एंबुलेंस खरीदने में हुई धांधली का है।सीबीआई, ईडी और अन्य जाँच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप लगता रहा है और विपक्षी दल सत्तारुढ़ दल की सरकारों पर उनकी पार्टी के नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट भी सीबीआई को पिंजड़े में बंद तोता बता चुकी है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार व्यक्तिगत बदला लेने और राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है और उसकी पार्टी के नेताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन मोदी सरकार का स्पष्ट कहना है कि कांग्रेस नेताओं के ख़िलाफ़ जाँच एजेंसियों की कार्रवाई से उसका कोई लेना-देना नहीं है और एजेंसियाँ इस मामले में अपना काम कर रही हैं।