कोरोना वायरस से ख़िलाफ़ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने वाले इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने कहा है कि वायरस से संदिग्ध रूप से संक्रमित 80 फ़ीसदी लोग सर्दी-बुखार के बाद ठीक हो जाएँगे। इसने कहा है कि बाक़ी के 20 फ़ीसदी में इस वायरस के लक्षण ज़्यादा साफ़ दिखाई दे सकते हैं और उनमें से क़रीब 5 फ़ीसदी बीमार लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की ज़रूरत पड़ सकती है।
आईसीएमआर का ऐसा दावा कुछ राहत पहुँचाने वाला लगता है जब देश में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल तो कोरोना वायरस की जाँच करने की क्षमता को लेकर भी उठाए जा रहे हैं। इसी को लेकर संशय जताया जा रहा है कि जब यूरोप के देश स्थिति को नहीं संभाल पा रहे हैं तो भारत इस स्थिति से कैसे निपटेगा? ऐसे ही संशयों के बीच आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने सफ़ाई दी है।
भार्गव ने स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि बीमारी को समझना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ जो 5 फ़ीसदी लोग हॉस्पिटल में भर्ती होंगे उन्हें ही सपोर्टिव ट्रीटमेंट की ज़रूरत होगी। भार्गव के इन दावों से ऐसा लगता है कि देश में हॉस्पिटल इस स्थिति को झेल लेंगे और स्थिति संभाल ली जाएगी। क्या सच में ऐसा है?
भार्गव ने यह नहीं कहा कि क्या दुनिया के दूसरे देशों में आ रहे मामले भारत में आने वाले मामलों से अलग हैं या नहीं। काफ़ी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देश इटली, स्पेन और अमेरिका तक में स्थिति ख़राब हो रही है और हॉस्पिटलों में जगह कम पड़ रही है। ख़ासकर इटली में तो स्थिति काफ़ी ज़्यादा बिगड़ गई है। हॉस्पिटलों में जगह नहीं है। आईसीयू और वेंटिलेटर कम पड़ गए हैं। यह देखकर इलाज किया जा रहा है कि किसकी स्थिति ज़्यादा ख़राब है। यूरोप के देशों ने तो वेंटिलेटर ख़रीदने के लिए ऑर्डर दे दिए हैं। इंग्लैंड क़रीब 20 हज़ार, जर्मनी ने 10 हज़ार, इटली ने 5000 हज़ार वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया है। हालाँकि भारत में स्थिति यूरोप के देशों की तरह नहीं है, लेकिन अब मामले काफ़ी ज़्यादा बढ़ रहे हैं।
देश में 360 पॉजिटिव केस आ चुके हैं और इसमें से 7 लोगों की मौत हो चुकी है। 23 लोगों का पूरी तरह इलाज किया जा चुका है। हालाँकि देश में कम जाँच होने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि जाँच बढ़ाई जाए तो संख्या बढ़ सकती है। हालाँकि आईसीएमआर के महानिदेशक भार्गव ने कहा कि अब तक 15000 से 17000 तक जाँच की जा चुकी है। उन्होंने यह भी दावा किया, 'हमारे पास हर रोज़ 10 हज़ार जाँच करने की क्षमता है। इसका मतलब है कि हफ़्ते में 50 हज़ार से 70 हज़ार तक जाँच की जा सकती है।'
उन्होंने कहा कि वायरस हवा में नहीं है और यह लोगों से ही फैल सकता है। यदि लोगों को अलग-थलग कर दिया जाए तो इसको फैलने से रोका जा सकता है।
बता दें कि भारत में लोगों को अलग-थलग करने के लिए सरकार ने कई सख्त क़दम उठाए हैं। वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश के 75 ज़िलों में लॉकडाउन किया गया है। कई राज्यों में तो पूरी तरह लॉकडाउन है। रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया है। ज़रूरी सामानों की आपूर्ति होती रहे इसलिए माल गाड़ी चलती रहेंगी। अलग-अलग शहरों में मेट्रो सेवाएँ भी बंद की गईं। अंतरराज्यीय बस सेवाएँ भी बंद की गईं।