देश में टीकाकरण नीति पर सुप्रीम कोर्ट तक से आलोचनाओं का सामना कर चुकी मोदी सरकार को अब विशेषज्ञों ने एक बेहद अहम रिपोर्ट दी है। इसमें कहा गया है कि अनियोजित टीकाकरण से कोरोना के म्यूटेंट यानी इसके स्ट्रेन को बढ़ावा मिल सकता है। विशेषज्ञों की यह चेतावनी बेहद चिंता पैदा करने वाली होनी चाहिए। ऐसा इसलिए कि भारत में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को कोरोना की दूसरी लहर के लिए ज़िम्मेदार माना गया।
कोरोना की दूसरी लहर कितनी घातक रही यह इससे समझा जा सकता है कि हर रोज़ संक्रमण के मामले 4 लाख से ज़्यादा आने लगे थे और सबसे ज़्यादा 6 मई को 4 लाख 14 हज़ार केस दर्ज किए गए थे। तब अस्पतालों में बेड, ऑक्सीज़न, दवाइयों की कमी हो गई थी। श्मशानों में शवों की कतार लग गई थी। और गंगा किनारे पानी में सैकड़ों शव तैरते हुए और रेतों में दफन किए हुए शव दिखे थे। कोरोना संक्रमण से उपजे ऐसे हालात के लिए नये वैरिएंट को ज़िम्मेदार माना गया।
एम्स के डॉक्टरों, कोरोना पर नेशनल टास्क फोर्स के सदस्यों वाले विशेषज्ञों के समूह ने जो अब ताज़ा चेतावनी दी है वह भी नये स्ट्रेन या म्यूटेंट के बारे में है। उस समूह ने कहा है कि बड़े पैमाने पर अंधाधुंध और अधूरा टीकाकरण म्यूटेंट को फिर से बढ़ावा दे सकता है। इसने सिफारिश की है कि उन लोगों को टीका लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है जिनमें कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसने साफ़ तौर पर कहा है कि ऐसे लोगों को बाद में तब टीका लगाा जा सकता है जब इसके सबूत मिल जाएँ कि कोरोना संक्रमण होने के बाद कोरोना टीका कारगर है।
विशेषज्ञों ने कहा कि बड़े पैमाने पर पूरी आबादी के बजाय कमजोर और जोखिम वाले लोगों का टीकाकरण करना लक्ष्य होना चाहिए। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार यह रिपोर्ट देने वालों में इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, 'देश में महामारी की वर्तमान स्थिति की मांग है कि हमें इस स्तर पर सभी आयु समूहों के लिए टीकाकरण खोलने के बजाय टीकाकरण को प्राथमिकता देने के लिए महामारी विज्ञान के आंकड़ों के आधार पर निर्णय लिया जाए।'
विशेषज्ञों ने चेताया है कि एक साथ सभी के लिए टीकाकरण खोल देने से मानव और दूसरे संसाधन कम पड़ जाएँगे।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि कोरोना के ख़िलाफ़ वैक्सीन ही सबसे ताक़तवर औजार है और दूसरे औजारों की तरह ही इसका अंधाधुंध इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, इसको रणनीति के तहत इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सरकार को दी गई उस सिफारिश में कहा गया है कि सभी व्यस्कों को वैक्सीन लगाने का विचार बिल्कुल सही लगता है, लेकिन सच्चाई है कि ऐसी महामारी के बीच वैक्सीन सीमित रूप से ही उपलब्ध है। ऐसे हालात में इस पर जोर होना चाहिए कि मृत्यु दर कम हो, जिसमें अधिकतर वे लोग हैं जो बुजुर्ग हैं और जो कोमोर्बिडिटीज या मोटापा के पीड़ित लोग हैं।
विशेषज्ञों ने साफ़ कहा है कि जो मौजूदा लहर है वह नये-नये वैरिएंट की वजह से है। इसने नये वैरिएंट की पहचान के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग को बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा है कि ऐसा कर नये स्ट्रेन पर जल्दी से काम किया जा सकेगा और फिर इसको समय पर रोका जा सकेगा।
कोरोना के नये वैरिएंट पर इसलिए ज़्यादा जोर दिया जा रहा है कि भारत, ब्राज़ील, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में बाद की लहरों के लिए नये स्ट्रेन को ज़िम्मेदार माना गया। सबसे पहले भारत में पाये गये डेल्टा वैरिएंट को तो काफ़ी घातक माना गया है। डेल्टा पहली बार यूके में मिले उस अल्फा से भी काफ़ी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला है। एम्स के शोध में कहा गया है कि अल्फा से 40 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से डेल्टा फैलता है तो ब्रिटेन के एक शोध में दावा किया गया है कि डेल्टा 60 फीसदी तेज़ी से फैलता है। ऐसे में यदि टीकाकरण अभियान को योजना के तहत नहीं चलाया गया तो नये स्ट्रेन का ख़तरा तो बढ़ेगा ही!