ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के मामले में शुक्रवार को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी थी। हालांकि अदालत में मामला आने पर सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की निचली अदालत को आदेश दिया था कि वह गुरूवार को इस मामले में कोई भी आदेश पास नहीं करे।
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने अदालत से कहा था कि इस मामले में एडवोकेट हरि शंकर जैन जो निचली अदालत में वादी का पक्ष रख रहे हैं, वह बुधवार को ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुए हैं और ऐसे में अनुरोध है कि सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया जाए।
मस्जिद कमेटी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हुज़ेफा अहमदी ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टाली जाती है तो निचली अदालत में सुनवाई को रोक दिया जाए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि वह इस मामले में कोई आदेश पास ना करे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है।सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से याचिका दायर की गई है। उधर, ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन कमेटी की पूरी मदद करने की बात कही है।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिला अधिकारी को आदेश दिया था कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि जहां पर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, उस इलाके को सुरक्षित कर दिया जाए और मुसलिम समुदाय को भी नमाज पढ़ने से न रोका जाए।
फव्वारे और शिवलिंग पर विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बाद से हिंदू और मुस्लिम पक्ष एक नई लड़ाई में उलझ गए हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद के अंदर से जो आकृति मिली है वह शिवलिंग की है जबकि मुस्लिम पक्ष ने साफ कहा है कि यह फव्वारा है।
मुस्लिम पक्ष के वकील रईस अहमद अंसारी ने आज तक से बातचीत में कहा कि शिवलिंग का दावा करने वाला जो वीडियो वायरल हो रहा है वही दृश्य मस्जिद के अंदर दिखा है लेकिन शिवलिंग का दावा गलत है। अंसारी ने कहा कि वह 100 फीसद दावे के साथ कह रहे हैं कि वह फव्वारा है।
सर्वे पूरा होने के बाद भी ज्ञानवापी मस्जिद और इससे सटे काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रखी गई है। प्रशासन ने पूरे इलाके को सील कर दिया है।