प्रधानमंत्री मोदी की नाराज़गी के बावजूद गोडसे को देशभक्त कहने वालों की ज़ुबान थम नहीं रही है। गोडसे को देशभक्त कहने पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भले ही कभी माफ़ न करने की बात मोदी ने कही हो पर उनकी बात का संघ परिवार पर कोई असर नहीं है। प्रज्ञा सिंह चुनाव जीत गई हैं। वह अब संसद में बैठेंगी।
इस प्रकरण में नया नाम जुड़ा है गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विष्णु पांड्या का, जिन्होने प्रज्ञा सिंह की बातों को ‘सही परिप्रेक्ष्य’ में समझे जाने की बात कही है। उन्होंने गाँधी के हत्यारे को ‘देशभक्त’ क़रार दिया। विष्णु पांड्या ने जीएसटीवी पर एक बहस के दौरान कहा, ‘गोडसे देशभक्त था, और गाँधी भी थे।’
इसके साथ ही यह सवाल भी पूछा जाने लगा है कि क्या गाँधी के हत्यारे का समर्थन करने वाले इस आदमी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई होगी यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि बीते हफ्ते गोडसे का जन्मदिन मनाने की वजह से हिन्दू महासभा के छह लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया था।
क्या कहा था प्रज्ञा सिंह ने
भारतीय जनता पार्टी ने प्रज्ञा सिंह को भोपाल से लोकसभा चुनाव में उतारा और उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज़ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को 3.50 लाख से भी अधिक वोटों से हरा दिया। प्रज्ञा सिंह पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। अदालत ने एनआईए की इस याचिका को ठुकरा दिया है जिसमें कहा गया है कि प्रज्ञा के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत नहीं है, लिहाजा यह मामला बंद कर दिया जाए। अदालत ने ज़ोर देकर कहा है कि साध्वी के ख़िलाफ़ प्रथम दृष्टया सबूत हैं और इसकी जाँच करना एनआईए का काम है। प्रज्ञा सिंह ने ख़ुद पर लगे आरोपों से इनकार तो किया ही, यह भी कहा कि उन पर झूठे आरोप लगाए गए, उन्हें प्रताड़ित किया गया। उन्होंने 26/11 के मुंबई हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों का मुक़ाबला करते हुए शहीद हुए हेमंत करकरे के बारे में भी घनघोर आपत्तिजनक बातें कहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नहीं, कई बार प्रज्ञा सिंह का बचाव किया।
पांड्या ने कहा, ‘मुझे लगता था कि वह जीत जाएँगी और वह जीत गईं। ठीक है, वह ज़मानत पर हैं और सोनिया गाँधी भी ज़मानत पर हैं। पर मामला यहाँ तक पहुँच गया कि कैंसर से जूझ रही एक महिला के साथ बेहद बुरा व्यवहार किया गया। क्या यह मानवाधिकारों का उल्लंघन नही है’ पांड्या ने आतंकवाद के इस अभियुक्त को ‘सामान्य महिला’ बताया और कहा कि ‘वह तो भजन करती होंगी।’
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जहां तक गोडसे को देशभक्त कहने की बात है, मुझमें यह कहने की हिम्मत है कि हां, वह देशभक्त थे, और गाँधी भी थे। सिर्फ़ उनके रास्ते अलग-अलग थे। चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में देखने की ज़रूरत है।
विष्णु पांड्या, अध्यक्ष, गुजरात साहित्य अकादमी
यह सही परिप्रेक्ष्य क्या है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस इतिहासकार ने कहा, ‘यदि गोडसे ने गाँधी की हत्या की तो गाँधी के नाम पर महाराष्ट्र में 8,000 लोगों की हत्या भी की गई थी। इन पीड़ितों में एक सतवलकर थे, जिनका पुस्तकालय जला दिया गया और जिन्हें भाग कर नासिक जाना पड़ा था। तो यदि आप गाँधी की हत्या से जुड़े घटनाक्रम को देखना चाहते हैं तो आपको पूरे परिप्रेक्ष्य में देखना होगा।’
कौन हैं विष्णु पांड्या
साल 2002 के गोधरा कांड के बाद पांड्या गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नज़दीक आए। उन्होंने यह सलाह दी कि किस तरह भारतीय इतिहास में संघ से जुड़े लोगों को अच्छे रूप में पेश किया जा सकता है। उन्होंने मोदी को सलाह दी थी कि संघ से जुड़े श्यामजी कृष्ण वर्मा को सामने लाया जाए और उनके गुणों का बखान किया जाए। बता दें कि श्यामजी कृष्ण वर्मा को कालेपानी की सज़ा हो गई थी, उन्होंने अंग्रेज़ों से माफ़ी माँग और हमेशा उनके हितों की रक्षा करने का वचन देकर अपनी रिहाई कराई थी। बाद में वह यूरोप चले गए। नरेंद्र मोदी ने 2003 में स्विटज़रलैंड से उनकी अस्थियाँ मंगवाईं। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा करने का आरोप कांग्रेस पर लगा कर उसकी जम कर आलोचना की थी।पांड्या आरएसएस के मुखपत्र ‘संध्या’ के संपादक रह चुके हैं। यह पहला मौका नहीं है जब संघ से जुड़े इस इतिहासकार ने गोडसे की तारीफ़ की है। उन्होंने 19 अप्रैल को कविता कवि के नाथूराम पर फ़ेसबुक पोस्ट को अपनी वॉल पर लगाया था उसे ‘बहुत ही विचारोत्तेजक’ बताया था।
विष्णु पांड्या प्रधानमंत्री के कितने नज़दीक है और किस मानसिकता के हैं, यह समझने के लिए उनके फे़सबुक पेज पर एक नज़र डाल सकते हैं।
कविता कवि का फ़ेसबुक खंगालने से वहाँ महात्मा गाँधी से लेकर जवाहर लाल नेहरू और राहुल गाँधी के बारे में काफ़ी कुछ लिखा गया है, जो पूरी तरह फ़ेक न्यूज़ है। लेकिन वहाँ नाथूराम गोडसे की काफ़ी तारीफ़ की गई है महात्मा गाँधी के बारे में बेहद आपत्तिजनक बातें भी कही गई हैं।
सवाल यह उठता है कि क्या पांड्या के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई होगी सूरत में नाथूराम गोडसे का जन्मदिन मनाने के आरोप में पुलिस ने हिन्दू महासभा के छह लोगों को पकड़ लिया।
सूरत के पुलिस सुपरिटेंडेंट सतीश शर्मा ने कहा, ‘जिस गोडसे ने गाँधी की हत्या की थी, उसे पूजने से लोगों की भावनाएँ गंभीर रूप से आहत होती हैं। यह लोगों को भड़काने और शांति भंग करने की कोशिश थी। छह लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और 153 ए के तहत गिरफ़्तार किया गया।’
तो क्या गोडसे को देशभक्त कहने से लोगों की भावनाएं आहत नहीं हुई हैं और इससे शांति भंग की आशंका नहीं है यदि ऐसा है तो विष्णु पांड्या को कब गिरफ्तार किया जाएगा
गोडसे का समर्थन करने की यह अकेली घटना नहीं हैं। बीजेपी सांसद/मंत्री अनंत हेगड़े ने शुक्रवार की सुबह को ट्वीट किया था, ‘मैं खुश हूँ कि क़रीब 7 दशक के बाद आज की पीढ़ी बदले हुए माहौल में इस मुद्दे पर चर्चा कर रही है। इस चर्चा को सुनकर आज नाथूराम गोडसे अच्छा महसूस कर रहे होंगे।’
हेगड़े ने इसके बाद एक और ट्वीट किया था कि अब समय है कि आप बोलें और माफ़ी माँगने से आगे बढ़ें, उन्होंने लिखा कि यह अब नहीं तो कब होगा’ हेगड़े ने यह ट्वीट एक ट्वीट का जवाब देते हुए किया था। हेगड़े के बाद कर्नाटक से बीजेपी के सांसद नलिन कुमार कटील ने गोडसे की तुलना राजीव गाँधी से कर दी। नलिन ने कहा था, ‘गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को मारा, राजीव गाँधी ने 17 हज़ार लोगों को मारा। अब आप ख़ुद तय कर लें कि कौन ज़्यादा क्रूर है।’ बता दें कि कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने भी राजीव गाँधी पर हमला बोला था।