एक मालगाड़ी बिना ड्राइवर के जम्मू-कश्मीर के कठुआ स्टेशन से रवाना हुई और अनियंत्रित यात्रा पर निकल पड़ी। रोके जाने से पहले पंजाब में पठानकोट रेलवे स्टेशन के ऊंची इलाके तक कई किलोमीटर चल चुकी थी। यह घटना, जिसके खतरनाक नतीजे निकलने की आशंका थी, रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों ने तेजी से कार्रवाई करके इस मालगाड़ी पर काबू पाया।
इस मालगाड़ी के अवैध संचालन की जैसे ही सूचना मिली, रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी फौरन कठुआ रेलवे स्टेशन पहुंचे। उन्होंने पंजाब की ओर ट्रेन के मार्ग के स्टेशनों को हाई अलर्ट जारी किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई पैसेंजर ट्रेन इस मालगाड़ी के ट्रैक पर न आए, अन्यथा दोनों तरफ से आमने-सामने की टक्कर का खतरा था।
पूरे 53 वैगनों वाली मालगाड़ी बिना ड्राइवर के चलती रही और रेलवे कर्मियों के बीच खतरे की घंटी बज गई। रेलवे अधिकारियों की टीमें इस आवारा ट्रेन को रोकने और नियंत्रण के कोशिश में जुटे रहे। लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। खैर दूसरे बंद ट्रैक पर मोड़ कर इस मालगाड़ी को किसी तरह रोका गया।
कठुआ स्टेशन से ट्रेन के अवैध प्रस्थान की परिस्थितियों की जांच के लिए अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है। यह जांच प्रोटोकॉल या निरीक्षण में किसी भी चूक की पहचान करने में सहायक होगी। इस अनुभव से सीखकर, रेलवे अधिकारी सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने और भविष्य में इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक उपाय लागू कर सकते हैं।
रविवार की घटना रेलवे प्रणाली के भीतर कड़े सुरक्षा उपायों और निरंतर सतर्कता की याद दिलाती है। हालांकि इस बार बड़ा हादसा नहीं हुआ लेकिन रेलवे में निरंतर सुधार और सतर्कता की जरूरत अब एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इस घटना से पता चलता है कि रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी हर क्षण सतर्कता नहीं बरतते।