हैकर का दावा- कू ऐप पर यूज़र का डाटा लीक होने का ख़तरा

01:54 pm Feb 11, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

ट्विटर की तरह दिखने वाली जिस माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट 'कू' को लेकर मंत्रियों के ट्वीट के बाद यह ट्रेंड करने लगा था उसकी ऐप में डाटा की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। कू ऐप पर फ्रांस के हैकर इलिएट एल्डर्सन ने दावा किया है कि उस ऐप से फ़ोन नंबर, ईमेल आईडी, जन्मदिन की तिथि जैसी भी गुप्त जानकारियों के लीक होने का ख़तरा है। 

ट्विटर और सरकार के बीच तकरार के बीच यह 'कू' चर्चा में आया है। कू को ट्विटर के भारतीय विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। साफ़ शब्दों में कहें तो यह ट्विटर की तरह ही माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट है। ट्विटर की तरह लोगों को फॉलो किया जा सकता है और 'कू' को लाइक और 'रिकू' किया जा सकता है। ऑडियो या वीडियो-आधारित पोस्ट भी की जा सकती है। ट्विटर की तरह 'कू' में भी हैशटैग की व्यवस्था है। ट्विटर की तरह ही '@' प्रतीक का उपयोग करके अपनी पोस्ट में किसी अन्य व्यक्ति को भी टैग किया जा सकता है। कू पर पोल्स पोस्ट करने, फ़ोटो और वीडियो साझा करने का विकल्प भी है। इसकी ऐप भी गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। 

कू चर्चा में तब आया है जब ट्विटर और सरकार के बीच तनातनी को लेकर हलचल मची हुई है। हाल ही में सरकार ने ट्विटर से यह कहते हुए 1178 ट्विटर खातों को बंद करने के लिए कहा था कि ये खाते पाकिस्तान और खालिस्तान से सहानुभूति रखते हैं। इस पर तनातनी इसलिए बढ़ गई कि ट्विटर ने उन सभी खातों को बंद करने से इनकार कर दिया। कुछ दिन पहले ही जब सरकार ने 100 ट्विटर खातों को बंद कराया था और 150 ट्वीट हटवाए थे तब कुछ ही घंटों में ट्विटर ने एकतरफ़ा फ़ैसला लेते हुए उन सभी खातों और ट्वीट को बहाल कर दिया था। इसके बाद सरकार ने खुली चेतावनी दी थी कि या तो ट्विटर सरकार के आदेशों की अनुपालना करे या नतीजे भुगते।

ट्विटर और सरकार में तकरार के बीच कई केंद्रीय मंत्री और सरकारी विभाग कू ऐप पर एक्टिव हो गए हैं। इसी बीच कू ऐप की भी पड़ताल होने लगी। इथिकल हैकर यानी नैतिक रूप से सही हैकिंग करने वाले के तौर पर पहचाने जाने वाले इलिएट एल्डर्सन ने भी इस पर ट्वीट किया। इलिएट एल्डर्सन नाम से ट्वीट करने वाले फ्रांसीसी सुरक्षा शोधकर्ता रॉबर्ट बैप्टिस्ट ने लिखा, 'आप लोगों ने कहा तो मैंने कर दिया। मैंने इस नए कू ऐप पर 30 मिनट बिताए। ऐप उनके उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत डाटा को लीक कर रहा है: ईमेल, डीओबी, नाम, वैवाहिक स्थिति, लिंग, ...'

इलिएट एल्डर्सन ने उन जानकारियों के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए हैं। यह इलिएट एल्डर्सन वही हैं जिन्होंने आरोग्य सेतु ऐप में डाटा सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए थे। 

तब एल्डर्सन ने लिखा था, 'हेलो, आरोग्य सेतु, आपके ऐप में एक सुरक्षा समस्या पाई गई है। 90 मिलियन भारतीयों की गोपनीयता दाँव पर है। क्या आप मुझसे निजी संपर्क कर सकते हैं? सादर। राहुल गाँधी सही थे।' बता दें कि राहुल गाँधी ने भी तब सवाल उठाए थे। 

हैकर के दावे के बाद आरोग्य सेतु के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर जवाब दिया गया कि जो भी चिंताएँ जताई गई हैं उनमें कोई दम नहीं है। इसमें हर मुद्दे पर सफ़ाई पेश की गई। इसके बाद एल्डर्सन ने ट्वीट किया, 'मूल रूप से आपने कहा कि यहाँ कुछ भी देखने लायक नहीं है। हम देखेंगे। मैं कल वापस आपसे संपर्क करूँगा।'

आरोग्य सेतु के डाटा सुरक्षा पर भी काफ़ी विवाद हुआ था। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने के लिए इस ऐप को केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया। आरोग्य सेतु ऐप को सरकार ने इस दावे के साथ लॉन्च किया था कि इससे कोरोना वायरस की कड़ी को तोड़ने में मदद मिलेगी और वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। 

अब जिस कू ऐप पर इलिएट एल्डर्सन ने सवाल उठाए हैं वह ऐप क़रीब एक साल पहले ही आ चुका था। इसको अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदावतका ने पिछले साल मार्च में बनाया था।

सरकार के आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज को जीतकर यह ऐप चर्चा में आई। इनोवेशन चैलेंज जीतने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में भी इस ऐप का ज़िक्र किया था।

लेकिन ट्रेंड तब हुआ जब केंद्रीय मंत्रियों ने इस ऐप का इस्तेमाल शुरू किया। कू ऐप पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा जैसे नेता इस ऐप पर आए। नीति आयोग, दूरसंचार, आईटी, इंडिया पोस्ट, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, और MyGovIndia जैसे विभाग भी कू पर मौजूद हैं। 

कू की खासियत

कू एक भारत-आधारित ऐप है और लोगों को उनकी भाषा में पोस्ट करने की अनुमति देता है। साइन अप करते समय यह भारतीय भाषाओं में से चुनने को कहता है। केवल एक भाषा चुनने का ही विकल्प है। कू पर अंग्रेजी व हिंदी के अलावा कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मराठी, बंगाली, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, असमिया और गुजराती भाषाएँ उपलब्ध हैं। 

कू की पॉलिसी के बारे में राधाकृष्ण कहते हैं कि वह चाहते हैं कि भारतीय भाषाओं में बोलने वाले लोगों को मंच उपलब्ध कराया जाए। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति वाला मंच है। उन्होंने कहा, 'जीवन के लिए ख़तरा, भीड़ की हिंसा का ख़तरा होने पर अपवाद होंगे। राधाकृष्ण ने कहा कि वे चीजें हैं जहाँ हम देश के क़ानून का पालन करेंगे।' यह पूछे जाने पर कि क्या कू उन यूज़र पर प्रतिबंध लगाएगा जो मंच पर दूसरों को ट्रोल करते हैं, उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी तक ऐसी स्थितियों से निपटा नहीं है और ऐसा होने पर वह प्रतिक्रिया देंगे।