गलवान घाटी में सोमवार को चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ के दौरान भारतीय सैनिकों के निहत्थे होने के मुद्दे पर बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राहुल गाँधी के सवाल पर विदेश मंत्री के जवाब और उस पर रिटायर आला सैनिक अफ़सरों के सवाल ने कई सवाल एक साथ खड़े कर दिए हैं।
इससे सरकार की कमज़ोरी और उसकी नीयत पर सवाल तो उठता ही है, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच का विवाद भी खुल कर सामने आ जाता है।
राहुल का सवाल
इस पूरे मामले की शुरुआत राहुल गाँधी से हुई, जब उन्होंने सरकार से पूछा कि सैनिकों को निहत्थे भेजा ही क्यों गया था।विदेश मंत्री का जवाब
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसका जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सीमा की ड्यूटी पर तैनात सारे सैनिक हथियारों से लैस होते हैं। गलवान में भी 15 जून को ऐसा ही हुआ था। लेकिन 1966 और 2005 के क़रारों के बाद व्यावहारिक रूप से सैनिकों के आमने-सामने होने पर हथियारों का इसतेमाल नहीं किया जाता है।रिटायर्ड लेफ़्टीनेंट जनरल का पलटवार
रिटायर लेफ़्टीनेंट जनरल एच. एस. पनाग ने इस पर कहा कि यह तो सीमा प्रबंधन के लिए बनी सहमति है, रणनीतिक सैन्य कार्रवाई के दौरान इसका पालन नहीं होता है। जब किसी सैनिक की जान का ख़तरा होता है, वह अपने पास मौजूद किसी भी हथियार का इस्तेमाल कर सकता है।'रक्षा मंत्रालय सोया है'
विदेश मंत्री के मैदान में कूदने पर रिटायर्ड विंग कमांडर अनुमा आचार्य ने पूछा कि क्या रक्षा मंत्रालय सोया हुआ था। जब कोई कूटनीति पर सवाल करता है तो आप कहते हैं लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर की बातचीत हो रही है और जब कोई रक्षा मंत्रालय से जुड़ा सवाल करता है तो विदेश मंत्री कूद पड़ते हैं।सोमवार को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। समाचार एजेन्सी एएनआई के मुताबिक, 43 चीनी सैनिक भी इस कार्रवाई में मारे गए। झड़प के दौरान पत्थरों, धातु के टुकड़ों का इस्तेमाल दोनों ओर से किया गया, लेकिन गोली नहीं चली है।