कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 जून को देश भर में राज्यपालों के आवासों के घेराव का एलान किया है। किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को कहा कि 26 जून को आंदोलन के सात महीने पूरे होने के मौक़े पर यह कार्यक्रम किया जाएगा।
घेराव करने वाले किसानों के हाथ में काले झंडे होंगे और हर राज्य के राज्यपाल के जरिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजा जाएगा।
किसान नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा है कि इस दिन को खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसके अलावा 24 जून को संत रविदास जयंती भी दिल्ली के बॉर्डर्स पर मनाई जाएगी। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा है कि आंदोलन को विदेशों में रहने वाले सिखों से भी भरपूर समर्थन मिल रहा है।
‘काला दिन’ मनाया था
किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर किसानों ने ‘काला दिन’ मनाया था और दिल्ली के बॉर्डर्स सहित पंजाब-हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश व कई अन्य राज्यों में सड़क पर उतरे थे। किसान आंदोलन के समर्थकों ने अपने घरों, दुकानों, वाहनों पर काले झंडे लगाकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ सख़्त नाराज़गी जताई थी। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने मोदी सरकार का पुतला भी जलाया था।
सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर इन दिनों भी किसान बड़ी संख्या में धरने पर बैठे हुए हैं। बीते कुछ दिनों में पंजाब-हरियाणा के कई इलाक़ों से किसान इन बॉर्डर्स पर पहुंचे हैं। फसल की कटाई के सीजन के बाद किसान लगातार दिल्ली की सीमाओं पर लौट रहे हैं।
पंजाब से चले किसान 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचे थे और बाद में हरियाणा-राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है।
ममता से मिले थे टिकैत
कुछ ही दिन पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाक़ात की थी। ममता ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगी और उनकी ओर से केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा जाएगा। उन्होंने किसानों के आंदोलन का पूरी तरह समर्थन करने की बात भी कही थी।
बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि एक बार फिर किसान अपने आंदोलन को तेज़ करेंगे और इसी क्रम में कई राज्यों का दौरा भी किया जाएगा।
बीजेपी जानती है कि किसान आंदोलन उसके लिए सियासी नुक़सान का सबब बन सकता है। विशेषकर उत्तर प्रदेश और पंजाब में, जहां 7 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं।