शंभू बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन बुधवार को दूसरे दिन भी जारी है। किसानों का कहना है कि वे पंजाब की सीमा में हैं लेकिन हरियाणा पुलिस उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ रही है। मुख्य बॉर्डर से करीब 400 मीटर दूर किसान आंदोलन कर रहे हैं। कई किसानों का दावा है कि हरियाणा की ओर से आंसू गैस की फायरिंग मंगलवार देर रात तक जारी रही। बुधवार सुबह करीब 200 ट्रैक्टर ट्रॉलियां विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। इससे राजमार्ग के किनारे खड़ी ट्रैक्टर ट्रॉलियों का काफिला अब 4 किमी से अधिक लंबा हो गया है। मौके पर एकत्र हुए किसानों का कहना है कि वे तब तक नहीं हटेंगे जब तक वे हरियाणा में प्रवेश नहीं कर लेते और दिल्ली नहीं पहुंच जाते। साइट पर अस्थायी अस्पताल शुरू हो गया है, जबकि पंजाब सरकार ने आसपास के सभी सरकारी अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सतर्क कर दिया है। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह राजपुरा में घायल किसानों से मिलने जा रहे हैं।
“
प्रदर्शनकारी किसानों ने मंगलवार रात "संघर्षविराम" की घोषणा की थी और बुधवार को "फिर से कोशिश" का वादा किया था। बॉर्डर पर निषेधाज्ञा लागू है और भारी सुरक्षा बल तैनात है। किसानों ने दिल्ली जाने की कोशिश के लिए दो मोर्चे खोले हुए हैं। एक मोर्चा शंभू बॉर्डर पर है, जो अंबाला के पास है। दूसरा मोर्चा खनौरी बॉर्डर है जो जींद जिले में आता है।
हरियाणा के जींद जिले के खनौरी-दाता सिंह वाला में बैरिकेड्स को पार करने की कोशिश कर रहे सैकड़ों किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियों और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। हरियाणा पुलिस का आरोप है कि खनौरी सीमा पर कुछ युवकों के हमले में लगभग 10 पुलिस कर्मियों को चोटें आईं। कुछ प्रदर्शनकारियों को तब हिरासत में लिया गया जब वे बार-बार चेतावनी के बावजूद वहां इकट्ठा होते रहे। हरियाणा के अन्य जिलों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर मंगलवार के घटनाक्रम ने 2020-21 के विरोध प्रदर्शन की यादें ताजा कर दीं, जब किसानों को पंजाब-हरियाणा सीमा पार करने से रोकने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया गया। तीन साल पहले विरोध प्रदर्शन 13 महीने तक चला था, जिससे दिल्ली की सीमाएँ जाम हो गईं थीं।
शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आरोप लगाया कि हरियाणा पुलिस के जवानों ने रबर की गोलियां चलाईं, जिससे कई लोग घायल हो गए। हरियाणा पुलिस की कार्रवाई से यह साफ हो गया कि घग्गर पुल पर लगाए गए कुछ कंक्रीट ब्लॉकों को हटाने के बावजूद किसान राज्य में प्रवेश नहीं कर सके।
सुबह करीब 10 बजे करीब 1,200 ट्रैक्टर-ट्रेलर शंभू बैरियर पर पहुंची, जबकि 11.30 बजे तक 400 से अधिक ऐसे वाहन वहां पहुंच गए। हरियाणा पुलिस के साथ टकराव दोपहर करीब 12 बजे शुरू हुआ जब कुछ युवाओं ने घग्गर पुल पर लगाए गए कंक्रीट ब्लॉकों को हटाने की कोशिश की थी। शाम करीब 6 बजे किसानों ने खेतों के रास्ते और घग्गर नदी पार कर हरियाणा में घुसने की कोशिश की। हालाँकि, उनकी कोशिशों को हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर नाकाम कर दिया। किसानों और पुलिस कर्मियों ने एक दूसरे पर पथराव किया। किसान नेताओं ने बाद में दावा किया कि पुलिस कार्रवाई में उनके 60 से अधिक कार्यकर्ता घायल हो गए। उन्होंने दावा किया कि किसानों ने किसी पुलिस अधिकारी पर हमला नहीं किया। सोशल मीडिया पर जो वीडियो दिखाई दिए, उसमें घायल किसान युवकों को ले जाते हुए दिखाया गया।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा- “यह पूरी तरह से अराजकता है। हरियाणा पुलिस के जवान उन प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां चला रहे थे और यहां तक कि पत्थर भी फेंक रहे थे, जिन्होंने अभी तक हरियाणा में प्रवेश नहीं किया है। हम पंजाब क्षेत्र में हैं, हम पर इस तरह हमला क्यों किया जा रहा है?” उन्होंने कहा- “हम दिल्ली पहुंचने तक नहीं रुकेंगे, भले ही हमें कई दिनों तक अपना संघर्ष जारी रखना पड़े। हम केवल शांतिपूर्वक मार्च करना चाहते थे, लेकिन हरियाणा पुलिस ने हमें रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा दिए और बल प्रयोग किया।” पंढेर ने आरोप लगाया, ''हरियाणा पुलिस की कार्रवाई में 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिसमें रबर की गोलियां चलाना भी शामिल है।''
सरकार ने गतिरोध को दूर करने के लिए फिर से बातचीत का आह्वान किया, लेकिन किसानों का आरोप है कि सरकार सिर्फ उनका समय बर्बाद कर रही है और उनकी मांगों को पूरा करने का कोई इरादा नहीं है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को कहा था कि बातचीत में समय लग रहा है क्योंकि किसान नई मांगें रख रहे हैं। उन्होंने उनसे हिंसा और आगजनी न करने का आग्रह किया और उन्हें बातचीत के नए दौर के लिए आमंत्रित किया।
बहरहाल, दिल्ली की भी घेराबंदी पुलिस ने कर रखी है। पुलिस ने कंक्रीट ब्लॉकों और टायर डिफ्लेटर के साथ सीमाओं पर बैरिकेडिंग करके दिल्ली की किलेबंदी कर दी है। लेकिन असली मुकाबला हरियाणा की दो सीमाओं शंभू बॉर्डर और जींद में खनौरी बॉर्डर पर हो रहा है, जहां मंगलवार को कार्रवाई हुई थी। किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार एक बार फिर आमने-सामने हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार ने बवाना स्टेडियम को "होल्डिंग एरिया या जेल" में बदलने के केंद्र के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। केंद्र सरकार चाहती है कि किसान अगर दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बाहरी दिल्ली इलाके में ही प्रतिबंधित कर दिया जाए। दिल्ली सरकार के मना करने के बाद दिल्ली पुलिस ने अभी दूसरा इंतजाम नहीं किया है।