मोदी सरकार के कृषि किसानों के ख़िलाफ़ हरियाणा-पंजाब के किसानों ने जन आंदोलन खड़ा कर दिया है। हरियाणा पुलिस की बर्बरता का सामना करते हुए दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच चुके किसानों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का भी साथ मिला है और देश के कई राज्यों के किसान संगठनों ने पुलिसिया बर्बरता की निंदा की है।
आंदोलन को धार देते हुए अब कई राज्यों के किसान संगठनों ने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है। इस मोर्चे की अगुवाई में ही किसानों का आंदोलन किया जा रहा है। मोर्चे की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी भेजा गया है।
पत्र में लिखा है, ‘प्रधानमंत्री जी, आप जानते हैं कि कई राज्यों से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड, मध्य प्रदेश व कई अन्य राज्यों के किसान शामिल हैं। इन किसानों में युवा भी शामिल हैं। हम सभी को हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केंद्र की सरकार द्वारा रोका जा रहा है और रास्ते में बैरिकेडिंग, बड़ी संख्या में मिट्टी से भरे ट्रक खड़े कर दिए गए हैं। पानी की बौछार छोड़ी जा रही है और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है।’
पत्र में आगे लिखा है, ‘उत्तर भारत में पड़ रही ठंड के बीच ये सब किया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी हम लोग लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हज़ारों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंच चुके हैं और आगे बढ़ते रहेंगे।’
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों के साथ ऐसा व्यवहार न हो और अन्नदाताओं और सरकार के बीच संघर्ष के दौरान कोई भी अप्रिय घटना न घटे। मोर्चा ने कहा है कि किसानों की आवाज़ को नहीं सुना गया और अध्यादेश लाकर क़ानून बना दिया गया।
किसानों ने कहा है, ‘प्रधानमंत्री जी, इस बारे में आप तक अपनी बात भी पहुंचाई गई लेकिन किसी तरह का कोई जवाब नहीं मिला। अब तो कम से कम भारत सरकार को यह संघर्ष वाला रवैया छोड़ देना चाहिए और किसानों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।’
केंद्र सरकार की ओर से यह कहे जाने पर कि किसानों को 3 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया गया है, किसानों ने पत्र में लिखा है कि यह पूरी तरह फिजूल बात है कि सरकार बातचीत के लिए बुला रही है लेकिन वह ऐसा माहौल नहीं बनने दे रही है, जहां पर बात हो सके।
‘आने के लिए रास्ता दें’
पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से मांग की गई है कि किसानों को दिल्ली आने के लिए सुरक्षित और खुला रास्ता दिया जाए। अखिल भारतीय और क्षेत्रीय स्तर के किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया जाए और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से उनकी बातचीत हो। किसानों ने कहा है कि उनकी मांग यही है कि तीन नए कृषि क़ानूनों और इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020 को ख़त्म कर दिया जाए।
पत्र से इतर किसान नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि नए कृषि क़ानूनों के लागू होने से एमएसपी बंद हो जाएगी। इससे मंडी नहीं होगी और सरकारी रेट पर फसलों की ख़रीद धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा है कि किसानों और कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट की नई व्यवस्था शुरू होने से किसान कंपनी और उसके वकीलों का बंधक बन जाएगा।
यादव के मुताबिक़, इन क़ानूनों में व्यापारियों को जमाखोरी और कालाबाजारी की पूरी छूट दे दी गई है। इससे किसान की फसल सस्ती बिकेगी और खरीदार को ज्यादा महंगी पड़ेगी।