किसान आंदोलन से हलकान मोदी सरकार अब कृषि क़ानूनों में संशोधन को तैयार है लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं हैं। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन अब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकला है। किसानों की एक सूत्रीय मांग है कि तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लिया जाए।
अब सरकार किसानों को इन क़ानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भेजने जा रही है जिसके लिए केंद्रीय कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है।
बेनतीजा रही बैठक
किसानों के उग्र तेवरों के बीच मोदी सरकार ने मंगलवार को एक बार फिर बातचीत के लिए हाथ आगे बढ़ाया। विवाद का हल निकालने के लिए मंगलवार शाम को गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं को बुलावा भेजा। शाह और किसान नेताओं के बीच दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के गेस्ट हाउस में काफी देर तक बैठक हुई। बैठक के बाद किसान नेताओं ने बताया कि अमित शाह ने किसानों से कहा है कि सरकार बुधवार को किसानों के सामने एक प्रस्ताव रखेगी।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि शाह के साथ हुई बैठक में कोई हल नहीं निकला है। शाह ने कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन आंदोलनकारियों ने इसे नहीं माना। उन्होंने कहा कि किसान नेता सरकार के आने वाले प्रस्ताव का अध्ययन करेंगे। इस प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं की बैठक बुधवार को दिन में सिंघु बॉर्डर पर होगी।
बातचीत टली
सरकार के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे किसानों ने भारत बंद भी बुलाया। इससे सरकार पर दबाव ज़रूर बढ़ा है लेकिन वह पीछे हटती नहीं दिखाई देती। इस बीच, 9 दिसंबर को होने वाली बैठक रद्द हो गई है। किसानों ने जिस तरह के तेवर दिखाए हैं और सरकार से इन कृषि क़ानूनों को ख़त्म करने को लेकर हां या ना में जवाब देने के लिए कहा है, उसके बाद सरकार के सामने विकल्प ख़त्म हो चुके हैं। क्योंकि किसानों को देखकर नहीं लगता कि वे किसी भी सूरत में पीछे हटेंगे। दूसरी ओर, सरकार भी अपनी बात पर अड़ी हुई है।राष्ट्रपति से मिलेंगे विपक्षी नेता
किसान आंदोलन के मद्देनज़र विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलने का फ़ैसला किया है। सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने मंगलवार को एएनआई से कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल बुधवार को शाम 5 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, एनसीपी मुखिया शरद पवार सहित कुछ अन्य नेता शामिल होंगे। येचुरी ने कहा कि कोरोना के प्रोटोकॉल के तहत केवल 5 लोगों को ही मिलने की अनुमति मिली है।मोदी सरकार भी लगातार कोशिश कर रही है कि किसानों का आंदोलन ख़त्म हो और इसके लिए वह उनसे कई दौर की बातचीत भी कर चुकी है लेकिन किसानों का कहना है कि इन क़ानूनों को रद्द करने से कम पर उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है।
दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों का साफ कहना है कि केंद्र सरकार इन कृषि क़ानूनों को वापस ले वरना वे आंदोलन को और तेज़ करेंगे। किसान चाहते हैं कि सरकार इन क़ानूनों को बिना शर्त और तुरंत वापस ले।
किसानों के आंदोलन को कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, एसपी, एनसीपी, शिव सेना, जेएमएम, टीआरएस, सीपीआई, सीपीआई(एम), ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक सहित 24 विपक्षी दलों का समर्थन अब तक मिल चुका है। ऐसे में यह आंदोलन लगातार बढ़ता जा रहा है।