कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के पास उत्तर प्रदेश व हरियाणा में धरने पर बैठे किसानों ने गांधी जयंती के मौके पर एक दिन का उपवास रखा है।
सुबह दस बजे से शाम पाँच बजे तक उपवास रखने वाले किसानों ने कहा है कि वे महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चल कर ही अपने मक़सद को हासिल करेंगे।
दस महीनों से धरने पर बैठे किसानों ने कहा है कि उनका आन्दोलन अब तक अहिंसक रहा है और यह आगे भी ऐसा ही रहेगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे, पर इसके लिए किसी तरह की हिंसा का सहारा नहीं लेंगे।
शनिवार 2 अक्टूबर को जब प्रधानमंत्री ने राजघाट स्थित गांधी की समाधि पर फूल चढ़ाने की औपचारिकता निभाई है, आन्दोलनकारी किसानों का उपवास अहम है।
यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि किसान लगभग दस महीनों ने धरने पर बैठे हैं, पर सरकार ने उनकी मांगों के मानने से साफ इनकार कर दिया है।
भारत बंद
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा ने बीते सोमवार यानी 26 सितंबर को भारत बंद का एलान किया था, जिसे राजनीतिक दलों से ही नहीं, समाज के तमाम तबकों से भी समर्थन मिला।
'भारत बंद' का असर पंजाब-हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक सहित देश के अधिकतर राज्यों में रहा। सड़क और ट्रेन यातायात प्रभावित हुए।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि हमारा 'भारत बंद' सफल रहा। उन्होंने कहा, 'हमें किसानों का पूरा समर्थन मिला... हम सब कुछ सील नहीं कर सकते क्योंकि हमें लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक भी रखना है। हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन कोई बातचीत नहीं हो रही।'
किसानों के भारत बंद से देश के अधिकतर हिस्सों में यातायात प्रभावित हुआ। ट्रेन सेवाएँ भी बाधित हुईं। अधिकतर जगहों पर निजी व सरकारी दफ़्तर, दुकान व दूसरे वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, स्कूल-कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थान बंद रहे।
40 से अधिक फार्म यूनियनों का संगठन संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
किसानों का भारत बंद काफी सफल माना जा रहा है। इसका असर व्यापक स्तर पर हुआ है। पर क्या सरकार पर कोई असर पड़ेगा?