किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने शिकायत की है, उन्हें सोशल मीडिया और फ़ोन पर धमकियां दी जा रही हैं। इससे पहले किसान नेताओं को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से समन भेजे जाने, पंजाबी गायकों और आढ़तियों को आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजे जाने की घटनाएं हो चुकी हैं।
सरकार के साथ शुक्रवार को हुई ग्यारहवें दौर की बैठक में किसान इस मुद्दे को उठा चुके हैं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शनपाल सिंह और और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को फ़ोन और सोशल मीडिया पर धमकियां मिली हैं।
‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, दर्शनपाल को फ़ोन पर धमकी देने वाले ने कहा है कि वह सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लें। धमकी देने वाले के नंबर को दिल्ली पुलिस को दे दिया गया है। इसके अलावा आरोप है कि किसान नेता रूलदु सिंह मानसा जब सरकार के साथ होने वाली बैठक के लिए निकल रहे थे तो दिल्ली पुलिस के एक कर्मचारी ने उनकी कार के शीशे को तोड़ दिया।
दिल्ली पुलिस ने ख़ारिज किया आरोप
हालांकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि मानसा ने ख़ुद ही कार का शीशा तोड़ दिया और पुलिस पर आरोप लगा दिया। पुलिस ने कहा है कि ये चर्चित होने और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश है।
इसके अलावा किसान नेता राकेश टिकैत को सोशल मीडिया पर धमकी मिली है कि अगर वह यूपी में वापस लौटे तो उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
किसान नेता कुलवंत सिंह संधू का कहना है कि एजेंसियों के जरिये किसान आंदोलन में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है। किसान नेताओं ने कहा है कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा।
बेनतीजा रही बैठक
कृषि क़ानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई ग्यारहवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। बैठक के बाद किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने किसानों के सामने एक बार फिर पुराना प्रस्ताव रखा लेकिन किसानों ने इसे मानने से इनकार कर दिया। अगली बैठक के लिए कोई तारीख़ भी तय नहीं की गई है। इसका मतलब साफ है कि अब आगे जल्द कोई बातचीत होनी मुश्किल है।
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘बैठक के दौरान जब किसानों ने कहा कि वे सरकार के प्रस्ताव पर राजी नहीं हैं और क़ानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं तो सरकार की ओर से कहा गया कि क़ानूनों को स्थगित करने का जो प्रस्ताव दिया गया है, वह किसानों और देश के हित में है।’