चुनावी बांड का मामला सामने आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्ष को सबसे ज्यादा पैसा बांड के जरिए मिला है। उनका कहा है कि कांग्रेस तो पिछले 70 साल से वसूली में जुटी हुई थी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार 16 मार्च को इसका जवाब दिया। जयरमाम रमेश ने कहा- हमेशा की तरह, अमित शाह अपने फूल टाइम काम में लगे हुए हैं, जो कि झूठ बोलना और भारत के लोगों को गुमराह करना है। वह जो तथ्य सामने रख रहे हैं, वे वह पूरी तरह गलत हैं।
कांग्रेस महासचिव ने चुनावी बांड की हकीकत बताते हुए कहा कि सबसे पहले, यह तो बिल्कुल स्पष्ट है कि 6,000 करोड़ रुपए सीधे बीजेपी के पास गए हैं। इस बात के पर्याप्त सबूत सामने आए हैं कि यह पैसा भ्रष्टाचार और जबरन वसूली से आया है। अमित शाह ने दावा किया है कि 14,000 करोड़ रुपए विपक्ष के पास गए हैं। चूंकि उनकी सरकार को डेटा में हेरफेर करने की आदत है, इसलिए वह वास्तविक संख्याओं को लेकर असहज हैं। असल में गैर-भाजपा दलों को मिली कुल राशि लगभग 6,000 करोड़ है।
जयराम रमेश ने कहा कि इन 6,000 करोड़ में से लगभग 2,700 करोड़ रुपए बीजेपी की बी-टीमों के पास गए हैं। इनमें से कुछ तो औपचारिक रूप से एनडीए में हैं, कुछ अनौपचारिक रूप से एनडीए के साथ हैं। गृह मंत्री ने दावा किया है कि भाजपा द्वारा बांड का बड़ा हिस्सा लेना इसलिए स्वीकार्य है क्योंकि उसके पास अधिक सांसद हैं। इस तर्क के बेतुकापन से अलग, गृह मंत्री एक प्रमुख मुद्दे पर भारत के लोगों को गुमराह कर रहे हैं: यह मामला सिर्फ़ भाजपा को कितना चंदा मिला उसे लेकर नहीं है, बल्कि उन्हें जिस तरह से मिला है, उससे उनके भ्रष्टाचार का पता चलता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जबरदस्त हमला करते हुए जयराम रमेश ने कहा- जब भाजपा को कुल चुनावी बांड्स का 50% से अधिक प्राप्त हुआ, तब 100% ईडी, 100% सीबीआई और 100% आईटी विभाग उसके नियंत्रण में है। भाजपा 100% रक्षा अनुबंधों, 100% राष्ट्रीय राजमार्ग अनुबंधों, 100% रेलवे अनुबंधों पर नियंत्रण रखती है। इन सरकारी संस्थाओं के नियंत्रण के माध्यम से भाजपा इन चार भ्रष्ट नीतियां अपना रही है जिन्हें हमने बार-बार हाइलाइट किया है:1) चंदा दो, धंधा लो, 2) हफ़्ता वसूली, 3) ठेका लो, रिश्वत दो, 4) मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फर्ज़ी कंपनियां।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रचार के लिए अपने खज़ाने को भरने के लिए भ्रष्टाचार के माध्यम से यह सारा पैसा इकट्ठा करने के अलावा, भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले हमारे बैंक खातों की खाताबंदी करके कांग्रेस पार्टी को आर्थिक रूप से कमज़ोर करने का प्रयास किया है। भारत के इतिहास में सबसे बड़े घोटाले के रूप में सामने आने वाले और भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किए जाने वाले Electoral Bond Scam की सीधी ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री की है। यह घोटाला कितना बड़ा है, इसे स्पष्ट रूप से सामने लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक स्वतंत्र जांच बेहद आवश्यक है।
अमित शाह ने शुक्रवार को पार्टी की ओर से सफाई देते हुए आरोप लगाया था कि विपक्षी नेता अपनी जेबें भरने के लिए राजनीतिक चंदा नकद में लेते हैं। “उदाहरण के लिए, ₹1,100 के चंदे में से, वे ₹100 पार्टी के नाम पर जमा करते हैं और ₹1,000 अपनी जेब में रखते हैं। कांग्रेस ने इस प्रणाली को वर्षों तक चलाया है।” शाह ने स्पष्ट किया कि भाजपा को चुनावी बांड में कुल ₹20,000 करोड़ में से लगभग ₹6,000 करोड़ मिले हैं। उन्होंने पूछा, "बाकी बांड कहां गए?" अमित शाह ने कहा- "टीएमसी को ₹1,600 करोड़, कांग्रेस को ₹1,400 करोड़, बीआरएस को ₹1,200 करोड़, बीजेडी को ₹750 करोड़ और डीएमके को ₹639 करोड़ मिले हैं। 303 सांसद होने के बावजूद हमें ₹6,000 करोड़ मिले हैं और बाकियों को ₹14,000 करोड़ मिले हैं। उनके पास तो 242 सांसद हैं। किस बात को लेकर हंगामा है? मैं कह सकता हूं कि एक बार हिसाब-किताब हो जाने के बाद विपक्षी दल जनता का सामना नहीं कर पाएंगे।"