केंद्र सरकार ने बुधवार को प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) योजना को 1 जनवरी, 2024 से अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया। हालांकि प्रधान मंत्री ने शुरुआत में छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली के दौरान इसकी घोषणा की थी। लेकिन इसका औपचारिक फैसला मंगलवार को कैबिनेट बैठक में लिया गया और बुधवार को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया को यह जानकारी दी। सूत्रों का कहना है कि उत्तरकाशी की खबरों की वजह से केंद्र सरकार ने इसका ऐलान मंगलवार को रोक लिया था।
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सवाल ये है कि जब छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यह घोषणा कर दी थी तो बुधवार को तेलंगाना विधानसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले 29 नवंबर को इसकी घोषणा सरकार की ओर से फिर से क्यों की गई। यहां सवाल चुनाव को प्रभावित करने को लेकर नहीं है, बल्कि मोदी सरकार की यह घोषणा लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भी है। लोकसभा चुनाव में छह महीने से कम समय बचा है। गरीबों को मुफ्त राशन योजना की घोषणा का समय महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कहा कि "पिछले पांच वर्षों में, लगभग 13.50 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं। यह मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। इसी तरह, COVID-19 महामारी के दौरान, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की गई थी।" मंगलवार को यह निर्णय लिया गया कि इस योजना को 1 जनवरी 2024 से अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ाया जाएगा...।"
प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ की रैली में इस योजना के बारे में अपने भाषण में कहा था- "कोविड-19 के दौरान गरीबों की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वे अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे...तब मैंने तय किया कि किसी भी गरीब को भूखा नहीं सोने दूंगा, इसलिए भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की।" उन्होंने कहा था कि 'आपके बेटे' (खुद का जिक्र करते हुए) ने गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजना को अगले पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है।
छत्तीसगढ़ में पीएम मोदी ने जब मुफ्त राशन योजना को बढ़ाने की घोषणा की थी उसका बहुत ज्यादा प्रभाव छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनाव में नहीं देखा गया। सरकार दोबारा से घोषणा करके इसका प्रभाव अब गुरुवार 30 नवंबर को होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी देख लेना चाहती है। दांव चल गया तो सरकार की रणनीति की कामयाबी मानी जाएगी, दांव पिट गया तो भाजपा किसी और दांव की तलाश करेगी। केंद्र सरकार और भाजपा का हर कदम अब लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर उठ रहा है।
प्रधानमंत्री की छत्तीसगढ़ घोषणा के फौरन बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि मुफ्त राशन योजना एक साल के लिए बढ़ी है और सरकार प्रचार पांच साल का कर रही है। समझा जाता है कि सरकार ने अब उसी को सही करके फिर से घोषणा की है। 2020 में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बाद तीन महीने के लिए इसे लागू किया गया था। लेकिन तब से इस योजना को कई बार आगे बढ़ाया गया है।
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क्या ये फ्रीबीज़ यानी मुफ्त की रेवड़ी हैः यह चुनाव वर्ष है और अप्रैल 2024 तक चुनाव वर्ष जारी है। सरकार अगर चुनाव के दौरान या चुनाव वर्ष में ऐसी घोषणा करती है तो यह फ्रीबीज में ही आता है। सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर नसीहत दे चुका है। भाजपा खुद आम आदमी पार्टी की फ्रीबीज़ के लिए आलोचना करती रही है। पीएम मोदी ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक बताया था। मोदी सरकार को मुफ्त राशन योजना से करीब 11.80 लाख करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना होगा।
पीएमजीकेएवाई दो प्रकार के राशन कार्ड धारकों को कवर करता है - जो अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवार (पीएचएच) के अंतर्गत आते हैं, दोनों को इस साल जनवरी में पीएमजीकेएवाई के साथ एकीकृत किया गया था।