यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म को भारत का राष्ट्रीय धर्म घोषित कर दिया है। योगी की ये टिप्पणी रणनीतिक है। एक तरफ तो यह टिप्पणी आरएसएस के हिन्दू राष्ट्र के सपने का अप्रत्यक्ष ऐलान है। दूसरा 2023 में 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ऐसे ही रणनीतिक बयानों के सहारे बिसात भी बिछा रही है। हालांकि योगी के बयान का फौरन विरोध भी शुरू हो गया है। कांग्रेस के उदित राज और सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणियां इसी संदर्भ में आई हैं। लेकिन दोनों नेताओं की टिप्पणियां व्यक्तिगत ही मानी जाएंगी। उनकी पार्टियों ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है।
आदित्यनाथ ने शुक्रवार को राजस्थान के भीनमाल स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में यह बयान दिया था। उन्होंने मूर्ति जीर्णोद्धार एवं अभिषेक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म है जिसका सम्मान प्रत्येक नागरिक को करना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी ने लोगों से अयोध्या में राम मंदिर की तर्ज पर अपवित्र धार्मिक स्थलों को बहाल करने के लिए अभियान चलाने का आग्रह किया।
योगी आदित्यनाथ ने यह बयान उस राजस्थान में दिया है, जहां इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अगले दस महीनों में वहां चुनाव हो जाएंगे। राजस्थान में बीजेपी सत्ता में रही है लेकिन कांग्रेस ने पिछले चुनाव में उससे सत्ता छीन ली थी। इसलिए राजस्थान में उनका यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राजस्थान में अयोध्या की याद दिलाते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि अगर किसी कालखंड में हमारे धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया गया है, तो अयोध्या की तर्ज पर जहां 500 साल बाद भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है, जीर्णोद्धार का अभियान चलाया जाना चाहिए। यानी योगी चाहते हैं कि और भी मंदिर आंदोलन देश में चलें।
उन्होंने कहा कि भगवान नीलकंठ के मंदिर का 1400 साल बाद भव्य रूप से जीर्णोद्धार पीएम मोदी द्वारा विरासत का सम्मान और संरक्षण का एक उदाहरण है। अपनी राजस्थान यात्रा को अप्रत्यक्ष रूप से गैर राजनीतिक बताते हुए योगी ने कहा कि यदि आप धर्म के वास्तविक रहस्यों को समझना चाहते हैं, तो राजस्थान आना जरूरी है।
योगी का सारा बयान हिन्दुत्व के चारों तरफ है। योगी बयान एक तरह से भारतीय संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है। भारतीय संविधान किसी एक धर्म को स्वीकार नहीं करता। वह बहु भाषा, संस्कृति और अनेक धर्म वाले भारत को रेखांकित करता है। भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता की बात करता है। जबकि योगी सिर्फ सनातन धर्म की बात कर रहे हैं और खुद ही उसे राष्ट्रीय धर्म घोषित कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी के सीएम भी हैं। उनके बयान का बहुत मतलब है। अभी योगी का बयान इस तरह से आया है। फिर इसे बाकी बीजेपी नेता कांग्रेस समेत सारे राजनीतिक दलों को चुनौती देंगे कि इसका विरोध करो, अगर साहस है। कुल मिलाकर चुनाव के मद्देनजर बीजेपी सारी बहस हिन्दुत्व के आसपास ही चाहती है।
इस बीच, कांग्रेस के दलित नेता डॉ उदित राज ने आज शनिवार को योगी के बयान पर सवाल खड़ा किया है। उदित राज ने ट्वीट किया कि कल कुछ परिचित बौद्ध धर्म के साथियों का फ़ोन आया कि सनातन धर्म अगर राष्ट्रीय धर्म है तो हमारे का क्या होगा ? सनातन धर्म के अस्तित्व को कौन नकार सकता है ? मैंने सोचा कि योगी जी से पूछ लिया जाये कि और धर्म हैं कि नही, बस इतना ही है । बौद्धिक विमर्श तो होना ही चाहिए। उदित राज ने कहा कि सिख, जैन, बौद्ध, निरंकार, ईसाई और इस्ताम धर्म भारत में खत्म। हालांकि उदित राज का यह बयान व्यक्तिगत है, कांग्रेस का बयान नहीं है।
यूपी के पूर्व मंत्री और सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने आज शनिवार 28 जनवरी को कहा कि धर्म की आड़ में छिपे भेड़ियों से दूरी बनाने की जरूरत है। हालांकि मौर्य का यह बयान यूपी में रामचरित मानस पर उनकी टिप्पणी से जुड़े विवाद को लेकर भी है। सपा नेता मौर्य ने कहा - देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों एवं पिछड़ों के सम्मान की बात क्या कर दी, मानो भूचाल आ गया। एक-एक करके संतो, महंतों, धर्माचार्यों का असली चेहरा बाहर आने लगा। सिर, नाक, कान काटने पर उतर आये। कहावत सही है कि मुंह में राम बगल में छुरी। धर्म की चादर में छिपे, भेड़ियों से बनाओ दूरी।
रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी पर खासा विवाद तचल रहा है। मौर्य का कहना है कि कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरितमानस में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लिए "आपत्तिजनक भाषा" इस्तेमाल की गई है। मौर्य ने कहा था, कोई करोड़ लोग इसको नहीं पढ़ते। मौर्य ने कहा था- सब बकवास है। ये तुलसीदास ने अपनी तारीफ और खुशी के लिए लिखा है। धर्म हो, हम उसका स्वागत करते हैं। पर धर्म के नाम पर गली क्यों? दलित को, आदिवासियों को, पिछड़ों को जाति के नाम पर। शूद्र कह कर के, क्यों गली दे रहे हैं? क्या गाली देना धर्म है? इसके बाद मौर्य पर हिन्दू महासभा की ओर से हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई।
इस तरह की बयानबाजियां अनायास नहीं हैं। इसकी शुरुआत बिहार से हुई थी। वहां बिहार के मंत्री और आरजेडी नेता चंद्रशेखर ने भी इसी तरह रामचरित मानस पर टिप्पणी की थी। जिसके बाद बीजेपी ने इस पर काफी तीखा बयान दिया था। उसके बाद और लोगों के भी बयान इस पर आए। आरजेडी बिहार प्रमुख जगदानंद सिंह ने भी रामचरित मानस को लेकर विरोधी टिप्पणियां की थी। फिर यूपी में शुरुआत हुई और इन्हीं विवादों के बीच योगी आदित्यनाथ का सनातन धर्म को राष्ट्रीय धर्म बताने से सारी राजनीति स्पष्ट हो जाती है।