18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, इंडिया गठबंधन के नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता सोनिया गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव समेत तमाम सांसद संसद के बाहर धरना देते नजर आए। वे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के विरोध में संविधान की प्रतियां पकड़े नजर आए।
सभी तीन विपक्षी नेता, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के टीआर बालू, कांग्रेस के के. सुरेश और तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, जो प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब की सहायता के लिए पैनल में हैं। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति पर विरोध स्वरूप अपनी कुर्सियों पर नहीं आये। उन्होंने प्रोटेम स्पीकर की कोई मदद भी नहीं की। विपक्ष का आरोप है कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति सरकार ने वरिष्ठता क्रम को नजरन्दाज करके की है।
संसद के बाहर मोदी क्या बोले
संसदीय कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने संसद के बाहर मीडिया के सामने अपनी बात कही। लेकिन उनकी बातें दो रंगी थीं। एक तरफ वो संसद को आम राय से चलाने की बात कह रहे थे तो दूसरी तरफ कांग्रेस पर हमला करते हुए इमरजेंसी की याद दिला रहे थे।
1975 में आपातकाल के समय को याद करते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “कल (मंगलवार) 25 जून है। 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर लगे उस धब्बे के 50 साल पूरे हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, संविधान के हर हिस्से को फाड़ दिया गया था, देश को जेल में बदल दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह से कुचल दिया गया था...।
हालांकि विपक्षी इंडिया गठबंधन के लोग संसद परिसर में संविधान की प्रति लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। मोदी ने उसे नजरन्दाज करते हुए कहा कि हम लोग संविधान की रक्षा करते हुए संकल्प लेंगे कि भारत में दोबारा कोई ऐसा काम करने की हिम्मत नहीं करेगा जो 50 साल पहले किया गया था। हम जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे. हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुरूप आम जनता के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे।”
दूसरी तरफ मोदी ने यह भी कहा कि ''देश की जनता को विपक्ष से अच्छे कदमों की उम्मीद है। मुझे आशा है कि विपक्ष लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने के लिए देश के आम नागरिकों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा। लोग ड्रामा या अशांति नहीं चाहते। लोग नारे नहीं, सार चाहते हैं। देश को एक अच्छे विपक्ष की, एक जिम्मेदार विपक्ष की जरूरत है और मुझे पूरा विश्वास है कि इस 18वीं लोकसभा में जो सांसद जीतकर आये हैं, वे आम आदमी की इन अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेंगे।' लेकिन पहले दिन से ही खुद सरकार ने विपक्ष की राय न मानकर विपक्ष को प्रदर्शन के लिए मजबूर कर दिया।